
सांसद बाबुल सुप्रियो ने क्यों छोड़ी भाजपा?
क्या वाकई राजनीति से मोहभंग हो गया था बाबुल सुप्रियो का?
आखिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक भाजपा से अलग हुए सुप्रियो?
बुरे वक्त में बंगाल में भाजपा के लिए उम्मीद कि किरण बनकर आए थे बाबुल सुप्रियो
बाबुल सुप्रियो ने सांसद पद से भी दिया इस्तीफा
-विजय श्रीवास्तव-
दिल्ली। आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति को अलविदा बोल अपनी राजनीतिक पारी की समाप्ति की घोषणा कर दी है। अपनी आवाज और गीतों के जरिए लोगों के दिल से राजनीति में अपनी जगह बनाने वाले बाबुल सुप्रियो राजनीति से मोहिभंग होने की बात जाहिर कर राजनीति से सन्यास लेने की ऐलान कर दिया है।
सांसद बाबुल सुप्रियो ने छोड़ी भाजपा[/caption]
गौरतलब है कि 2014 में बंगाल में भाजपा की दो सीटों में एक आसनसोल से बाबुल सुप्रियो ने जीतकर भाजपा को तोहफा दिया था। हालांकि उनके पार्टी छोड़ने के पीछे अभी तक कोई खुलासा नहीं हुआ है और बकौल सुप्रियो उन्होंने राजनीति से सन्यास मोहभंग होने के कारण लिया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में हलचल है कि आखिर ऐसे क्या कारण रहे कि अचानक सुप्रियो को न सिर्फ पार्टी छोड़नी पड़ी बल्कि से राजनीति से सन्यास भी लेना पड़ा।
सुप्रियो ने भाजपा में शामिल होने के पीछे के राज से पर्दा उठाते हुए कहा कि उन्होंने योग गुरू बाबा रामदेव के कहने पर भाजपा में शामिल होने के का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि उस समय बंगाल में भाजपा को एक भी सीट जीतने की कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। इसलिए उन्होंने बाबा रामदेव के कहने पर भाजपा का दामन थामा।
बाबुल सुप्रियो ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ”एक विमान यात्रा के दौरान स्वामी रामदेव से संक्षिप्त बातचीत हुई थी। मुझे यह अच्छा नहीं लगा कि बीजेपी बंगाल को इतनी गंभीरता से ले रही थी, लेकिन उसे एक भी सीट मिलने की उम्मीद नहीं थी। मैंने सोचा कि यह कैसे हो सकता है कि जो बंगाल श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी का इतना सम्मान करता है वह बीजेपी को एक भी सीट देने से इनकार कर दे। खासकर तब जब पूरे भारत ने चुनाव से पहले तय कर लिया था कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे, बंगाल क्यों अलग सोचेगा? तब मैंने एक बंगाली के रूप में चुनौती स्वीकार की। सबकी सुनी, लेकिन किया वह जो मेरे दिल ने कहा, बिना कल की चिंता किए।”
बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पेज पर अपने दिल की बात शेयर करते हुए यह भी लिखा कि मेरे राजनीति छोड़ने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने अपनी पोस्ट में ये भी लिखा था कि वे अब किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। लेकिन कुछ देर बाद ही उन्होंने इस लाइन को अपनी पोस्ट से हटा लिया। उनके राजनीति से अचानक सन्यास लेने के मुद्दे पर एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह कहा कि उन्होंने यह फैसला अचानक नहीं लिया है। इसके लिए अमित शाह व जेपी नड्डा को उन्होंने पहले ही सूचित कर दिया था।
सुप्रियो के भाजपा से बंगाल चुनाव से पहले मतभेद भी उनके भाजपा छोड़ने के पीछे कारण माने जा रहे हैं। वहीं बंगाल भाजपा नेतृत्व से नाराजगी भी उनके पार्टी छोड़ने का कारण माना जा रहा है। बहरहाल एक बात तो तय है कि बाबुल सुप्रियो के पार्टी छोड़ने से भाजपा को नुकसान तो होगा। लेकिन ये वक्त बताएगा कि बाबुल के भाजपा छोड़ने से पार्टी को बंगाल में कितना नुकसान होगा। वहीं सूत्रों की मानें तो उनके टीएमसी में शामिल होने के भी चर्चा भी जोरों पर है।