पंजाब में किसकी सरकार, कौन करेगा अगली बारी का इंतजार ?

पंजाब में किसकी सरकार, कौन करेगा अगली बारी का इंतजार ?

पंजाब में किसकी सरकार, कौन करेगा अगली बारी का इंतजार ?

2017 में 76.83फीसदी तो इस बार हुआ मात्र 65.32 फीसदी मतदान

भाजपा-अकाली दल पर कांग्रेस ने लगाया राम रहीम का फायदा लेने का आरोप

 

 

विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार,

 

लुधियाना। पंजाब में आज 20फरवरी को मतदान पूरे हो चुके हैं। 117सीटों पर 1304 प्रत्याशियों ने मतदान से पूर्व प्रचार प्रसार में अपना पूरा दम लगा दिया था। अृब जब एक दो छिट-पुट घटनाओं के बाद पंजाब में मतदान पूरा हो चुका है तो पंजाब ने मानों राहत की सांस ली है। चुनाव आयोग की तरफ से जारी हुए आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 65.32 फीसदी मतदान हुआ जो पिछली बार से करीब 14 प्रतिशत कम है।

धरती पुत्रों की नाराजगी का भाजपा को उठाना पड़ेगा खामियाजा!

पंजाब में सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों की धड़कनें तेज हो रखी हैं। चुंकि किसान आंदोलन के बाद से किसान केंद्र सरकार और उसके किसानों के रवैये को लेकर बिल्कुल खुश नहीं थे, ऐसे में लखीमपुर खीरी कांड ने भाजपा के लिए कोड़ में खाज का काम किया। पंजाब जो कि किसानों की धरती कहा जाता है वहीं किसानों को भाजपा से करीब एक साल से भी अधिक समय तक संघर्ष करना पड़ा, फिर लंबे अंतराल के बाद भाजपा ने अपने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का जो ड्रामा तो किया लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उसमें भाजपा ने काफी देर कर दी। अगर किसानों के विरोध के कुछ समय बाद ही भाजपा अपने कृषि बिलों को लेकर कुछ नरम हो जाती तो शायद आज भाजपा के लिए वोटिंग का परिणाम बेहद सुख देने वाला होता। धरती पुत्रों में भाजपा को लेकर जबरदस्त आक्रोश पनपा हुआ है तो वहीं कांग्रेस, आप पार्टी और अकाली दल को लेकर भी धरती पुत्र खासे पशोपेश में रहे।

आज सुबह पंजाब में पोलिंग बूथों पर जिस तरह का माहौल था उसने एक बारगी तो सभी राजनीतिक दलों के होश उड़ा दिए थे। तभी यकायक सभी राजनीतिक दलों ने पंजाब के वोटरों से घर से निकलकर मतदान करने की अपील भी की। सुबह 9बजे के आंकड़ों के अनुसार एक घंटे में पंजाब में केवल 4.8फीसदी ही मतदान हुआ था जिसने सबके होश उड़ा दिए थे। अमूमन वोटिंग वाले राज्यों में शुरूआती एक घंटे में 10 से 12 फीसदी के बीच तक मतदान हो जाता है।

क्या राजनेताओं की अपील का हुआ असर?

कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आप पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे भगवंत मान और कई अन्य दलों के दिग्गजों की अपील का जनता पर असर नजर आने लगा। इसी का परिणाम था कि दोपहर 1 बजे तक पंजाब में वोटिंग का आंकड़ा जादुई स्पीड से बढ़कर 34.10फीसदी पर पहुंच गया और शाम की पांच बजते बजते यह आंकड़ा 63.44 का आंकड़ा पार कर गया और देर रात 11बजे तक 65.32फीसदी वोटिंग के आंकड़े सामने आए।

क्या कहते हैं सर्वे के रुझान?

एक चैनल द्वारा करवाए गए सर्वे के अनुसार पंजाब में किसको कितनी सीटें मिलने की बन रही संभावना? पंजाब में 117 विधानसभा सीटों में आप-कांग्रेस और अकाली दल को मिला जुला समर्थन मिलने के आंकड़े सामने आ रहे हैं।

  • आम आदमी पार्टी को 36से 39सीटें मिलने की जताई जा रही संभावना
  • वहीं कांग्रेस को 35 से 38 सीटें मिलने की बात
  • इधर शिरोमणी अकाली दल को 32 -35 सीटें पर करनी होगी संतुष्टि
  • अन्य के खाते में 4 से पांच सीटें आने की भविष्यवाणी की गई थी

 

स्पष्ट बहुमत नहीं, गठबंधन की मजबूरी से बंधेगी दलों की डोरी

आज के वोटिंग प्रतिशत और सर्वे से मिल रहे आंकड़ों की मानें तो किसी भी पार्टी को इस बार बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं मिलने वाला। यानि पंजाब में इस बार भी साथी को हाथ बटाना ही पड़ेगा। अब गौर करने वाली बात ये है कि इस बार चुनाव परिणामों के बाद कौन किसका साथी बनेगा ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन पंजाब के राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पंजाब में इस बार सबसे मजबूत दो ही दल उभर कर सामने आ सकते हैं उनमें पहला नाम आप पार्टी का तो दूसरा परम्परागत मूड के अनुसार कांग्रेस का नाम है। लेकिन इन सब के बीच शिरोमणि अकाली दल भी एक मजबूत पार्टी बनकर उभर सकती है। पंजाब में आप या कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुए तो शिरोमणी अकाली दल भी गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है।

चुनाव से ठीक पहले राम रहीम की फरलो को लेकर भाजपा पर आरोप

इधर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की जेल से बेल के बाद भाजपा और अकाली दल पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अकाली दल पर आरोप लगाते हुए कहा कि अकाली दल को राम रहीम सपोर्ट कर रहे हैं। गौरतलब है कि राम रहीम का 117 में से 59विधानसभा सीटों के 40लाख वोटरों पर सीधा प्रभाव है। इन सीटों में प्रमुख रूप से लुधियाना, मोगा, अबोहर, पटियाला, फिरोजपुर, फजिलका, फरीदकोट, भटिंडा, फतेहगढ़ साहिब, मुक्तसर साहिब, मनसा संगरूर और बरनाला में राम रहीम को खासा प्रभाव माना जाता है। ऐसे में पंजाब में अंदरखाने इस बात की सुगबुगाहट है कि हरियाणा में भाजपा की सरकार है तो क्या ऐसा नहीं हुआ होगा कि केंद्र में भाजपा ने इसका फायदा उठाया हो और राम रहीम को जेल से बेल के नाम पर फरलो मिल गई। नहीं तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि हरियाणा की रोहतक जेल (जहां भाजपा की खट्टर सरकार है) में बंद राम रहीम के वकील की अर्जी पर उसे फरलो मिल जाए और वो जेल से बाहर आ जाए। विश्लेषकों के अनुसार अपने फायदे के लिए राम रहीम के जेल से बाहर आने का षड्यंत्र रचा गया है। नहीं तो ऐसे कितने ही आरोपी जेल में बंद होंगे जिन्होंने फरलो के लिए राम रहीम से पहले अपील की है और आज तक उनकी फरलो मंजूर नहीं हुई।

क्या है फरलो?, राम रहीम को फरलो के मायने

सजायाफ्ता कैदियों के वकील उनके लिए एक तय समय के लिए फरलो की मांग कर सकते हैं। फरलो में कैदी को तय समय के लिए सशर्त घर जाने के लिए अदालत से मंजूरी मिल जाती है। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राम रहीम की फरलो मंजूर हो गई और वो भी ठीक पंजाब चुनाव से पहले? क्योंकि राम रहीम की ओर से पहले भी कई बार फरलो की अर्जी लगाई गई थी जो कि हर बार अदालत द्वारा खारिज कर दी गई। अब राजनीति गलियारों में इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

बहरहाल आज पंजाब में एक बार चुनाव के बाद तूफान से पहले की शांति नजर आ रही है। अब 10मार्च को वोटों की गिनती के समय ही इसका खुलासा होगा कि इस बार पंजाब में किसकी होगी सरकार और कौन करेगा अगली बारी का इंतजार?

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