मोती डूंगरी में कहां से आई गणेश प्रतिमा…?

मोती डूंगरी में कहां से आई गणेश प्रतिमा…?

800 साल पुरानी गणेश प्रतिमा को कौन लाया (Moti Dungri) जयपुर ?

गुजरात से मावली और मावली से (Moti Dungri) जयपुर कैसे पहुंची गणेश प्रतिमा ?

 

जयपुर। (Moti Dungri) राजधानी जयपुर में मोती डूंगरी गणेश मंदिर में राजस्थान ही नहीं बल्कि दुनियाभर से यहां लोग इस अनोखी गणेश प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं। तकरीबन 800 साल पुरानी इस गणेश प्रतिमा में कई सारे चमत्कार और अनोखी बातें हैं।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के कई बहुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जयपुर में गोविंददेवजी, खोले के हनुमानजी जैसे सुप्रसिद्ध मंदिर हैं। शिव-पार्वती की संतान भगवान गणेश के रूप में यह मंदिर प्रतिष्ठापित है। (Moti Dungri) मोती डूंगरी गणेश मंदिर की मान्यता ऐसी है कि प्रदेश में किसी भी घर में जब शादी होती तो सबसे पहले गणेश निमत्रंण के लिए जयपुर मोती डूंगरी गणेश मंदिर आते हैं।

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ऐसा कहा जाता है कि जयपुर में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले लोग भगवान गणेश को निमंत्रण देते हैं ताकि निर्विघ्न रूप से उनके कार्य सफल हो जाएं।

जयपुरवासी किसी भी तरह का वाहन खरीदते हैं तो सबसे पहले पूजा-अर्चना के लिए मोती डूंगरी गणेश मंदिर आते हैं। (Moti Dungri) हर बुधवार यहां भक्तों की भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि यहां विशेष व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। वहीं गणेश चौथ के दिन मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आस-पास मेला भी लगता है।

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क्या है मंदिर और प्रतिमा का इतिहास?

(Moti Dungri) इतिहासकारों के अनुसार मोतीडूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश जी की प्रतिमा यहां जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाकर यहां स्थापित की गई थी। विषय विशेषज्ञों की मानें तो मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि जब यह मूर्ति मावली से जयपुर लाई गई थी तब यह 500 साल पुरानी थी। तब जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर जयपुर आए थे और उन्हीं की देखरेख में मोती डूंगरी की तलहटी में गणेशजी का मंदिर बनवाया गया था।

 

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क्यों है इस मंदिर की बड़ी मान्यता?

मोती डूंगरी पर्वत के निचले भाग में गणेशजी का प्राचीन मंदिर है। गणेश मंदिर के ही दक्षिण में एक टीले पर भगवान लक्ष्मीनारायण का विशाल मंदिर है, सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर को प्रदेशवासी ‘बिरला मंदिर’ के नाम से जानते हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर में स्थापित प्रतिमा दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रंगार किया जाता है।

हर बुधवार यहां मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बाहर मेला लगता है। ऐसा कहा जाता है कि गणेशजी से जो भी यहां आने वाले भक्त श्रद्धा और विश्वास से मांगते हैं गणेशजी उनकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर भवन साधारण नागर शैली में बना है।

 

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