वरलक्ष्मी व्रत भारत के मुख्य व्रतों में से एक

वरलक्ष्मी व्रत भारत के मुख्य व्रतों में से एक

अष्टलक्ष्मी व्रत का फल प्राप्त करें

ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार 

वरलक्ष्मी व्रत भारत के मुख्य व्रतों में से एक है। इस व्रत के करने से अष्टलक्ष्मी व्रत का फल मिलता है और साथ ही अष्टलक्ष्मी की कृपा भी। इस व्रत के करने से उम्र लम्बी होती है और प्यार, धन, बल, शांति, प्रसिद्धि,सुख, पृथ्वी और विद्या का आशीर्वाद मिलता है। व्रत को जितनी श्रद्धा, शुद्ध भावना और पवित्रता से किया जाता है उतना ही वर लक्ष्मी प्रसन्न हो कर वर देती हैं। वर लक्ष्मी की पूजा में ये अवश्य ही मन मे भाव रहना चाहिए कि ये सृष्टि का संचालन कर रहीं हैं, सुख समृद्धि, सम्पन्नता सब इन्ही से आती है, इनको जो भी वस्तु फल फूल अर्पण करें वो अपनी क्षमता अनुसार सबसे उत्तम हो। जिस वस्तु को हमे इस्तेमाल करने में या खाने में झेंप आये या हम ना खा सकें, वो वस्तु अर्पित न करें। हम जो भी अर्पित करते हैं वो हमें कई गुना हो कर मिलता है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति व बच्चों की लम्बी उम्र के लिए रखतीं हैं।

वर लक्ष्मी व्रत इस वर्ष 25 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर तमिलनाडु और तेलंगाना में वरलक्ष्मी व्रत को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

वरलक्ष्मी व्रत की तैयारी कैसे करे:

पूजा मे प्रयोग होने वाली सभी आवश्यक सामग्री एक दिन पहले ही एकत्रित कर ली जाती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन भक्त सुबह जल्दी उठ जाते हैं और स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। उसके बाद घर के आस-पास की सफाई की जाती है। पूजा स्थल को विशेषकर साफ किया जाता है और रंगोली भी बनाई जाती है।

किसी भी पूजा में कलश की बहुत अहम भूमिका होती है क्योंकि कलश में सभी देवी देवता निवास करते हैं। सर्वप्रथम कलश सजाया व स्थापित किया जाता है। कलश चांदी व कांसे का हो तो उत्तम मना जाता है। इसे चंदन से सुस्ज्जित किया जाता है। इस पर स्वास्तिक बनाया जाता है। कलश में पानी या अक्षत (साबुत चावल) भर कर उसमें चूना, सिक्के, सुपारी और पांच अलग-अलग तरह के पत्ते रखें। इसके उपरांत इसमें आम की पत्तियां लगा कर ऊपर नारियल स्थापित करें। नारियल पर, हल्दी पाउडर के साथ देवी लक्ष्मी की एक चित्र भी लगाएं। कलश को चावलों से बने अष्ट दल कमल के ऊपर रखा जाता है। कलश की पूजा की जाती है। पूजा के समय कलावा बांधना भी अति शुभ माना जाता है। प्रथम पूज्य

भगवान श्री गणेश की पूजा कर के उसके उपरान्त देवी लक्ष्मी की स्तुति व पूजा आर्च की जाती है।
गणपति अथर्वशीर्ष, व श्री सूक्तम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
महिलाँए प्रसाद को घर पर ही तैयार करती हैं।

26 अगस्त 2023 को स्नान करने के उपरांत कलश को बधाया जाता है। कलश के अंदर रखे चावलों को घर में रखे चावल के साथ मिश्रित किया जाता है जिससे सुख समृद्धि का वास हौ और पूजा में इस्तेमाल किया गया जल पूरे घर में छिड़का जाता है जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो

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