उद्धव नहीं देंगे इस्तीफा, महाराष्ट्र में भाजपा के खेले का खुलासा!

उद्धव नहीं देंगे इस्तीफा, महाराष्ट्र में भाजपा के खेले का खुलासा!

फडनवीस ने दिल्ली से लौटकर की राज्यपाल से मुलाकात

बोले- गोवाहाटी में बैठे 39 विधायक चाहते हैं फ्लोर टेस्ट हो

 

विजय श्रीवास्तव,

 

मुम्बई। पिछले कुछ दिनों से चल रहा महाराष्ट्र में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिवसेना के विधायकों की बगावत से शुरू हुई सियासी अदावत अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। एकनाथ शिंदे की ओर से शुरू की गई जंग अब बड़ा सियासी बवाल का रूप ले चुकी है। भाजपा के लिए कहा जा रहा था कि शिवसेना की सरकार को गिराकर खुद सत्ता में काबिज होने का वो प्रयास कर रही है। लेकिन भाजपा प्रवक्ताओं की ओर से इसका खंडन किया जा रहा था कि भाजपा किसी भी शिवसेना के विधायक से बात कर रही है। भाजपा ने ये भी कहा था कि न ही वो शिवसेना की सरकार गिराना चाहती है। लेकिन आज के फड़नवीस के राज्यपाल से मुलाकात के घटनाक्रम के बाद ये बात तो तय हो गई है कि सत्ता के लिए कोई भी पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है। वैसे भी भाजपा पर आरोप लगते रहें हैं कि वो अन्य दलों की सरकार को बीच में ही गिराकर अपनी सरकार बनाती रही है।

 

दिल्ली से लौट राज्यपाल से मिले फडनवीस, फ्लोर टेस्ट की मांग

फड़नवीस की अमित शाह और जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात, फोटो साभार सोशल मीडिया

मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने दिल्ली में अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर महाराष्ट्र की रणनीति को आज परवान चढ़ाया। दोपहर में दिल्ली में भाजपा के आला नेताओं से मुलाकात के बाद जब फडनवीस मुम्बई पहुंचे तो उन्होंने सीधे राज्यपाल से मुलाकात की। मुलाकात के बाद फड़नवीस ने ये बयान दिया कि राज्यपाल को शिवसेना के बागी 39विधायकों ने ई-मेल लिखकर फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की है। हालांकि इससे पहले इस तरह के किसी पत्र का जिक्र नहीं हुआ लेकिन फडनवीस के दिल्ली से मुम्बई पहुंचते ही इस ईमेल का खुलासा हुआ।

 

भाजपा की पृष्ठभूमि नजर आ रही थी पहले ही

राजनीति विश्लेषकों की मानें तो भाजपा ही इस पूरी पृष्ठभूमि के पीछे अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही थी और अब जब उद्धव सरकार पूरी तरह से अल्पमत में आ गई है तो भाजपा इसका पूरा फायदा भी उठाना चाहेगी ही। इस बात का खुलासा मंगलवार को दिल्ली से लौटकर राज्यपाल से मिलने के बाद भाजपा के पूर्व सीएम देवेंद्र फडनवीस ने अपने बयानों से कर दिया।

 

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उद्धव नहीं देंगे इस्तीफा, फ्लोर टेस्ट पर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

उद्धव कैंप की ओर से खबरें हैं कि अगर राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए बात करते हैं तो इस पर उद्धव कैंप सुप्रीम कोर्ट जाएगा और वहां अपनी गुहार लगाएगा। इससे पहले उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को लेकर चल रहे सब जुमले तब थम गए जब उद्धव की शरद पवार से मुलाकात के बाद उद्धव कैंप से ठाकरे द्वारा इस्तीफा नहीं देने का निर्णय सामने आया। इधर अब अगर फ्लोर टेस्ट की मांग होती है तो शिवसेना अपने 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करवाने का पूरा प्रयास करेगी। ताकि भाजपा के पास बहुमत का जादुई आंकड़ा न रह पाए। शिवसेना के एडवोकेट ने कहा कि 16विधायकों पर कानूनी कार्यवाही शुरू की जा चुकी है और जिसमें कहा गया है कि अगर कोई विधायक पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है तो वह अयोग्य घोषित हो जाता है।

 

क्या है महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और भाजपा-समर्थकों का चुनावी गणित?

उद्धव के साथ फिलहाल शिवसेना के कुल 55विधायकों में से 39विधायकों के बागी होने के बाद अब 16का ही आंकड़ा रह गया है, वहीं सरकार के पास NCP के 53 और कांग्रेस के 44विधायकों के साथ अन्य दलों के 12 विधायकों का समर्थन है जो कुल मिलाकर भी 125 ही हो रहा है यानी बहुमत के आंकड़े से 20 कम हैं। इधर भाजपा के पास खुद के 106 तो शिवसेना के बागी 39विधायकों के साथ आने के बाद MVA के बागी 10 और एनडीए समर्थक 7विधायकों के सपोर्ट के साथ 162का जादुई आंकड़ा है जो भाजपा की सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत बता रहा है।

 

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हिंदुत्व, पद लोलुपता, छोटों से जलन या भाजपा का साथ, आखिर क्या है मसला?

एकनाथ शिंदे का शिवसेना छोड़ने के पीछे उद्धव की शिवसेना का हिंदुत्व से दूर होना कारण बताया जा रहा था। इधर राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि एकनाथ शिदें की राजनीतिक महत्वाकांक्षा या पद लोलुपता के चलते पार्टी में दो फाड़ हुए और जिस शिवसेना का प्रमुख एजेंडा ही हिंदुत्व था उस पर हिंदुत्व से दूर जाने का आरोप लगाकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया गया। राजनीतिक बाजार में ये भी चर्चा गरम है कि उद्धव के पुत्र आदित्य ठाकरे के बढ़ते कद से भी एकनाथ को परेशानी होने लगी थी वो सरकार में प्रमुख मंत्रालय के पोर्टफोलियो के बाद भी खुद को आदित्य ठाकरे से कंपेयर करने लगे थे। वहीं भाजपा के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाने जिसमें खुद कम से कम उपमुख्यमंत्री बनें ऐसा भी ख्वाब एकनाथ शिंदे देख रहे हैं।

 

बहरहाल सरकार अब उद्धव की ही रहे या भाजपा के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे की बनेगी ये तो समय ही बताएगा लेकिन ये बात तो तय है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते अन्य पार्टियों की तरह शिवसेना में भी दरार पड़ चुकी है जो अब शायद बिना पद और कद बढ़ाए कम नहीं होगी।

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