
राहुल-गहलोत से पायलट की मंच पर दूरी के सियासी मायने …!
सदस्यता बहाली के बाद राहुल गांधी पहली बार आए जनसभा में
गहलोत-पायलट के बीच अभी भी नहीं बन पाया तार-तम्य
बांसवाड़ा। लंबे समय बाद मानगढ़ धाम पहुंचे राहुल गांधी एक बार फिर सभा में सचिन पायलट के साथ नजर आए। हालांकि इस बात के कोई अलग मायने नहीं कि वो किस किस से मुलाकात कर रहे हैं। क्योंकि जब किसी सभा में पहुंचते हैं तो सभी से मिलना जरूरी होता है। इसी कड़ी राहुल गांधी ने सचिन पायलट से भी मुलाकात की लेकिन मंच पर सचिन पायलट की कुर्सी राहुल गांधी से काफी दूरी लगाई गई या यूं कहें कि सचिन पायलट को मंच पर राहुल गांधी से दूर बैठाया गया। तो इसके मायने तो बनते हैं।
राहुल ने खूब की गहलोत की योजनाओं की तारीफ
दरअसल आदिवासियों के बीच पहुंचे राहुल गांधी ने अपनी दादी का किस्सा सुनाकर आदिवासियों से अपनापन जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा मुझे मेरी दादी का वो आदिवासी भाइयों और बहनों का किस्सा आज भी याद है जो दादी स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने मुझे 45 साल पहले सुनाया था। गौरतलब है कि लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मंच से मुक्त कंठ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ की उनकी योजनाओं को सराहा और जनता से कहा कि हमनें आपके लिए ही सोचा है और आगे भी आपके हित में हमारी सरकार काम करती रहेगी। हमारी सरकार गरीबों और आदिवासियों की सरकार है। लेकिन इस दौरान पहली बार अदावत खत्म होने के बाद गहलोत और पायलट भी एक ही मंच पर मौजूद तो थे लेकिन इस सार्वजनिक सभा में भी दोनों ने एक दूसरे के लिए एक शब्द भी नहीं बोला। वहीं राहुल गांधी से काफी दूरी पर सचिन पायलट को कुर्सी दी गई जबकि पायलट राहुल के बेहद करीबी हैं। ऐसे में इस नजारे ने एक बार फिर राजस्थान की सियायत में अटकलों का दौर शुरू कर दिया है।
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नहीं हुईं मन के बीच की दूरियां खत्म
आखिर सचिन पालयट को राहुल से दूर क्यों बैठाया गया। मंच पर राहुल गांधी के पास प्रभारी सुखजिंदर रंधावा तो तो दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और डोटासरा के बगल में सीएम गहलोत की कुर्सी लगी थी लेकिन पायलट की कुर्सी मंच के कौने में लगाई गई। दरअसल सभाओं में पायलट और गहलोत राहुल के दायें बायें नजर आते हैं इसलिए इस बार ये नजारा थोड़ा अटपटा सा लगा। हालांकि मंच से अलग राहुल गांधी और सचिन पायलट दोनों काफी देर तक साथ चलते हुए बातचीत करते नजर आए। इधर राजनीतिक प्रेक्षकों अपने विश्लेषण में ये बात भी कह रहे हैं कि सचिन ने अपने भाषण में राहुल की तो खूब तारीफ की लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफी में एक शब्द तक नहीं बोला। अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों नेताओं के बीच अभी तक तारतम्य नहीं बैठ पाया है।