
SDRI के अध्ययन से चौंकाने वाला खुलासा
SDRI के अध्ययन से चौंकाने वाला खुलासा
राज्य के GSTकरदाताओं पर देय है 588करोड़ का ब्याज
प्रदेश के विभिन्न विभागों में राजस्व की छीजत का चौंकाने वाला खुलासा
राज्य सरकार के पास पहुंची विस्तृत रिपोर्ट से खुलासा
प्रदेश के टॉप 20 करदाताओं पर ही कुल ब्याज राशि का 34फीसदी देय
पिछले 4साल का बताया जा रहा है यह आंकड़ा
SDRI अधिकारियों ने समय सीमाओं को लेकर किया विस्तृत अध्ययन
1जुलाई 2017 से GSTकानून व GSTराशि को जमा कराने की समय सीमाओं का किया अध्ययन
विमल कोठारी, वरिष्ठ पत्रकार, वाणिज्य
जयपुर। समय पर जीएसटी का भुगतान करना जीएसटी कानून में पंजीकृत करदाता की जिम्मेदारी है। यदि करदाता ने सरकारी खजाने में समय पर जीएसटी का भुगतान नहीं किया तो उससे 18 फीसदी की दर से ब्याज की वसूली का अधिकार जीएसटी अधिकारियों को मिला है। एसजीएसटी ही नहीं सीजीएसटी अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है कि राज्य में हजारों की संख्या में ऐसे करदाता है, जिन्होंने जीएसटी कानून लागू होने के बाद पिछले 4 साल की समयावधि में देरी से जीएसटी का भुगतान तो किया पर, आधिकारिक देय तिथि से भुगतान तिथि के बीच की अवधि पर देय हो चुके ब्याज की वसूली ही भूल गए। चार साल में केवल ब्याज के रूप में होने वाली वसूली की राशि करीब 588 करोड़ रुपए मानी जा रही है।
राज्य में विभिन्न विभागों में हो रही राजस्व छीजत की जांच करने वाली राजस्थान सरकार की विशेष जांच एजेंसी, राजस्थान राजस्व आसूचना निदेशालय अर्थात एसडीआरआई ने देय जीएसटी के देरी से भुगतान पर ब्याज वसूली की जांच शुरू की तो यह लापरवाही उजागर हुई। शुरुआत में मिली गड़बड़ी से उत्साहित एसडीआरआई अधिकारियों ने एक जुलाई 2017 से लागू हुए जीएसटी कानून व जीएसटी राशि को जमा कराने को लेकर दी गई समय सीमाओं का विस्तृत अध्ययन किया। पता लगा कि पहले साल अर्थात 01 जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच राजस्थान में 42 हजार 374 ऐसे करदाता थे, जिन्होंने तय समय पर जीएसटी राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया और देरी से जमा कराने पर देय ब्याज का भुगतान भी नहीं किया। इन 42 हजार 374 करदाताओं में राजस्थान जीएसटी (एसजीएसटी) में पंजीकृत करदाताओं की संख्या 31 हजार 084 थी, जबकि केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) में पंजीकृत करदाताओं की संख्या 11 हजार 290 थी।
दिलचस्प तथ्य तो यह है कि संख्या में अधिक होने के बावजूद एसजीएसटी करदाताओं से ब्याज के रूप में 47 करोड़ 78 लाख 57 हजार 086 रुपए की वसूली होनी थी तो सीजीएसटी करदाताओं से वसूली जाने वाली यह ब्याज राशि 102 करोड़ 55 लाख 64 हजार 999 रुपए थी। अर्थात जीएसटी कानून की शुरुआत के पहले 9 माह में ही जीएसटी भुगतान के ब्याज के रूप में सरकारी खजाने को 150 करोड़ 34 लाख 22 हजार 085 रुपए की चपत लगी।
विश्वस्त सूत्रों ने मिली जानकारी के अनुसार एसडीआरआई अधिकारियों के अध्ययन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में 48,015 करदाताओं पर देरी से जीएसटी भुगतान के ब्याज के रूप में 189 करोड़ 54 लाख 53 हजार 894 रुपए, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 77,912 करदाताओं पर देरी से जीएसटी भुगतान के ब्याज के रूप में 166 करोड़ 37 लाख 58 हजार 804 रुपए और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 57,615 करदाताओं पर देरी से जीएसटी भुगतान के ब्याज के रूप में 81 करोड़ 54 लाख 99 हजार 117 रुपए की वसूली नहीं होने की गणना की है। यदि इन चारों वित्तीय वर्षों की कुल राशि की गणना की जाएं तो यह राशि 587 करोड़ 81 लाख 33 हजार 900 रुपए हो रही है।
सूत्र बताते हैं कि जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज की वसूली जीएसटी पोर्टल के माध्यम से आसानी से पकड़ी जा सकती है, लेकिन राजस्थान सरकार व केन्द्र सरकार के संबंधित विभागों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। अब एसडीआरआई ने पिछले दिनों राजस्थान के एसजीएसटी व सीजीएसटी में पंजीकृत करदाताओं को आधार बना कर इस संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रेषित की है। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य के वाणिज्य कर विभाग और केन्द्रीय जीएसटी अधिकारियों से ब्याज वसूली की कार्रवाई अपेक्षित है।