
उदयपुर के आलोक स्कूल में दूसरी बार शर्मनाक मामला: 8वीं की छात्रा से शिक्षक ने की छेड़छाड़, प्रबंधन पर सवाल?
छात्रा ने लगाया गलत छूने का आरोप, परिजन प्रबंधन से न मन पाए
दो महीनों में दूसरी घटना — स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
प्रबंधन ने आरोप खारिज किया, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर, जांच जारी
सुश्री सोनिया,
उदयपुर,dusrikhabar.com। उदयपुर का आलोक स्कूल एक बार फिर सुर्खियों में हैं इस बार स्कूल की पंचवटी क्षेत्र स्थित शाखा में विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा तथा स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आठवीं कक्षा की एक 12-वर्षीय छात्रा ने स्कूल के शिक्षक पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है।
बच्ची के परिवार ने प्रबंधन में शिकायत की, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। यह घटना उस समय सार्वजनिक हुई है, जब लगभग दो महीने पहले इसी संस्था की एक अन्य शाखा में छात्रा के साथ दुष्कर्म का प्रयास हुआ था।

क्या है पूरा मामला
पंचवटी स्थित आलोक स्कूल की आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने आरोप लगाया है कि शिक्षक चंद्रशेखर कुमावत ने क्लास में उसे अलमारी के पास भेजकर उसके पीछे आकर गलत तरीके से छूने की कोशिश की। परिवार को यह बात सुनते ही स्कूल पहुंच कर शिकायत की गई, लेकिन प्रबंधन ने समय पर उचित कार्रवाई नहीं की।
इस पर शुक्रवार को आक्रोशित परिजनों ने शिक्षक को पकड़ कर पिटाई कर दी, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप कर शिक्षक को एमबी चिकित्सालय में भर्ती कराया और उसके खिलाफ POCSO Act में मामला दर्ज किया है। एएसपी सिटी उमेश ओझा के मुताबिक, अन्य विद्यार्थियों ने भी शिक्षक की अनुचित हरकतों की पुष्टि की है। जांच-कार्य जारी है।

विद्यालय की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी करीब दो महीने पूर्व आलोक स्कूल की फतेहपुरा स्थित शाखा में एक जिम ट्रेनर नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म का प्रयास किया था, जिसमें आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। तब भी परिजनों ने हंगामा किया था और स्कूल का नाम चर्चाओं में रहा था। अब इस दोहरी घटना से विद्यालय की सुरक्षा नीति, शिक्षकों की निगरानी और संस्कार व नैतिक शिक्षा के दावों पर संकट आ गया है। विद्यालय प्रबंधन ने इस नए मामले में “मामला गलत बताया” है, लेकिन तथ्यों और छात्रा-परिवार की शिकायतों ने प्रबंधन की जवाबदेही को उजागर कर दिया है।
स्कूल प्रबंधन पर उठ रहे गंभीर सवाल ?
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जब विद्यालय अपने प्रचार में “संस्कारों की बात” करता है और रामायण पाठ आदि का आयोजन कराता है, तो उस स्कूल में संस्कारों की कमी क्यों दिख रही है?
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क्या ऐसे शिक्षकों को नौकरी-पर रखे जाने का सवाल नहीं उठता, जिन पर छात्र-छात्राओं द्वारा छेड़-छाड़ या अन्य आरोप हों?
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शिक्षक-प्रशिक्षक और जिम ट्रेनर्स की नियुक्ति-निगरानी, सुरक्षा-प्रशिक्षण, शिकायत प्रबंधन की प्रक्रिया इस स्कूल में ठोस क्यों नहीं दिख रही?
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विद्यालय प्रबंधन द्वारा “मामला गलत बताया” जाना और फिर मामले का थाने तक जाना, यह जवाबदेही की कमी दर्शाता है।
छवि सुधारने के लिए शहर में रामायण पाठ का स्कूल प्रबंधन की ओर से आयोजन
आपको बता दें कि हाल ही में स्कूल के निदेशक में उदयपुर शहर में रामायण के पाठ करवाकर अपनी छवि को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है।
लेकिन अब सवाल ये उठता है कि धार्मिक आयोजन करवाकर स्कूल प्रबंधन अपने शिक्षकों में संस्कारों को कैसे डालेंगे, शहर में अपने धार्मिक प्रवृत्ति का गुणगान करने वाले स्कूल के निदेशक को अब ये सोचना होगा कि स्कूल की छवि को कैसे बेहतर किया जाए और शिक्षकों पर लगाम लग सके इसके लिए बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी स्कूल प्रबंधन को काफी सोचने की जरूरत है।
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