
जन्माष्टमी पर इस बार दुर्लभ संयोग
29 अगस्त की रात 11.30 बजे से 30 अगस्त की रात 1.59 बजे तक रहेगी अष्टमी
रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में चंद्रमा के साथ सोमवार या बुधवार होना बना रहा दुर्लभ संयोग
जयपुर। श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस तिथि को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव ‘जन्माष्टमी’ के रूप में मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जाएगी।
पूजा का मुहूर्त
पंडित पवन भारद्वाज के अनुसार इस दिन अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 11.30 बजे से शुरू होकर 30 अगस्त की रात 1.59 बजे तक रहेगी। वहीं, रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6.39 बजे से प्रारंभ होकर 31 अगस्त की सुबह 9.44 बजे तक रहेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11.59 बजे से 12.44 बजे के बीच रहेगा।
क्यों माना जा रहा दुर्लभ संयोग
जन्माष्टमी पर भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में चंद्रमा के साथ सोमवार या बुधवार होना दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस बार 30 अगस्त को जन्माष्टमी पर यह सभी योग बन रहे हैं। साथ ही इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा।
पूजा की विधि
भगवान श्री कृष्ण को सबसे पहले दूध से स्नान कराएं। इसके बाद दही, फिर घी और शहद से स्नान कराएं। फिर गंगा जल से स्नान कराना है। इस पंचामृत को एक पात्र में एकत्र कर लें। स्नान के बाद बाल गोपाल को सुंदर पोषाक पहनाएं और चंदन व अक्षत से तिलक करें। धूप-दीप से आरती कर माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद बाल गोपाल को झूला झुलाएं और भजन कीर्तन करें।