प्रदेशवासियों के मन में बस गईं राष्ट्रपति मुर्मू

प्रदेशवासियों के मन में बस गईं राष्ट्रपति मुर्मू

राजस्थान के स्थापत्य, कला, संस्कृति और इतिहास की जमकर की तारीफ

विधायकों को लोगों के विश्वास को कायम रखने की दी सलाह

कलराज मिश्र ने भी सदन की कार्यवाही और विधायकों की कार्यशैली पर उठाए सवाल

 

जयपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार शाम अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर जयपुर पहुंची। राज्यपाल कलराज मिश्र ने एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति की अगवानी की जहां राष्ट्रपति का भव्य स्वागत किया गया। एयरपोर्ट से राष्ट्रपति सीधे राजभवन पहुंचीं। राजभवन में उनके लिए विशेष राजस्थानी भोज का आयोजन रखा गया। रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार सुबह करीब 10.50 बजे राष्ट्रपति का काफिला राजस्थान विधानसभा भवन पहुंचा। राष्ट्रपति के विधानसभा पहुंचने पर राज्यपाल कलराज मिश्र, विधानसभाध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्वागत सत्कार किया। राजस्थानी अंदाज में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का सत्कार हुआ।

 

विधानसभाध्यक्ष जोशी ने कहा आपकी उपस्थिति हमारे लिए गरिमामयी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विधानसभा में संबोधन का कार्यक्रम रखा गया था। लेकिन इससे पहले विधानसभाध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और कलराज मिश्र ने भवन में मौजूद सदस्यों को संबोधित किया।

इस मौके पर सीपी जोशी ने कहा कि ऐसा पहली बार है जब कोई राष्ट्रपति राजस्थान विधानसभा भवन में संबोधन दे रहा है। जोशी ने कहा हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हमारे बीच मौजूद हैं।

 

विधायकों की कार्यशैली को लेकर राज्यपाल ने दिया बड़ा संदेश

इसके बाद विधानसभा में राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की परंपराओं में शुरू से ही लोकतांत्रिक मूल्यों में श्रद्धा रही है। अपने अनुभव के आधार पर मैं ये कह सकता हूं कि लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति देश-प्रदेश की जनता के हाथ में होती है और वही जनता राजनेताओं को विधानसभा में चुनकर भेजती है। लोकतांत्रिक संस्थाओं में बैठे प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे जनता के विश्वास को बनाए रखते हुए प्रदेश और जनता के भले के लिए काम करें। राज्यपाल ने विधानसभा के प्रति अपनी जवाबदेही तय करने के लिए मंत्रियों और विधायकों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो लोग इस सदन में चुनकर आते हैं उन्हें बहुत से विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जो उन्हें असाधारण बना देते हैं। ऐसे में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करने की जगह उनका ये दायित्व बनता है कि वे सदन की कार्यवाही को निरंतर चलने दें, सदन में लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाएं।

राज्यपाल ने विधानसभा सत्र के लिए कहा कि सत्रावसान भी सदन का जरूरी है ताकि नए सेशन की शुरुआत हो सके। राज्यपाल ने आए दिन सदन में बेवजह की बहसबाजी और हंगामें से सदन  स्थगन कर उसका समय बर्बाद होने से रोकने पर काम करना चाहिए। उन्होंन कहा सदन में सार्थक बहस कर लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों को कार्य करने चाहिए।

 

राजस्थान और यहां की सभ्यता,संस्कृति और परंपरा को सराहा

राज्यपाल कलराज मिश्र के संबोधन के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने राजस्थानी भाषा से अपने संबोधन की शुरूआत कर न सिर्फ सदन में मौजूद जनप्रतिनिधियों बल्कि राजस्थान की जनता का मन भी मोह लिया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में राजस्थान के गौरवमयी इतिहास के बारे में काफी कुछ कहा। राजस्थान की धरती को शूरवीर, कवि, साहित्यकार और कलाकारों की धरती बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन में राजस्थान की मिट्टी की खुशबू आती है। राष्ट्रपति भवन राजस्थान के महान कारीगरों की मेहनत और कौशल का अद्भुत उदाहरण है। राष्ट्रपति ने कहा राजस्थान लाए गए पत्थर से बने राष्ट्रपति भवन की खूबसूरती में और चार-चांद लग गए हैं। उन्होंने अपने संबोधन में राजस्थान की सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, समृद्धि और गौरव की बात करते हुए चंदरबरदायी का भी जिक्र किया।

 

विधानसभा आने वाले नेताओं को दी नसीहत

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में विधानसभा की गरिमा और जनप्रतिनिधियों को सिखाने के अंदाज में कहा कि इस भवन की एक गरिमा है। यहां आपके चहेती जनता आपको बार बार चुनकर भेजती है तो आपको राजस्थान की 7करोड़ जनता का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए। सदन में आकर उसकी मर्यादा बनाए रखने के लिए आप सभी को प्रयत्न करने चाहिए, मैं और मेरा से ऊपर उठकर सभी जनप्रतिनिधि मेरा देश और प्रदेश के बारे में अपनी सोच का दायरा बढ़ाना चाहिए। लोग अपने नेताओं को हर फील्ड में फोलो करते हैं, इसलिए जनप्रतिनिधियों के आचार-विचार उसी की भांति होने चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग तकनीक का युग है। विधानसभा में विधायक जनता के लिए क्या बोल रहे हैं यह उस तकनीक के माध्यम से घर-घर देखा और समझा जा रहा है। ऐसे में जनप्रतिनिधि को सदन में स्वयं की जगह जनता को ध्यान में रखकर ज्यादा से ज्यादा उनके हित में फैसले करने चाहिए।

 

खाटूश्याम मंदिर में की पूजा-अर्चना

विधानसभा में अपने संबोधन के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीकर स्थित खाटू श्यामजी मंदिर में श्रीकृष्ण के नाम से चिर परिचित घटोत्गच के पुत्र बरबरीक जो फिलहाल शीश के दानी खाटू श्याम के नाम से जाने जाते हैं के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इस मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र भी खाटू श्यामजी की पूजा अर्चना और विशेष आरती के दर्शनलाभ लिए। दर्शन के बार राष्ट्रपति फिर से विधानसभा भवन पहुंचीं जहां उन्होंने विधायकों और मंत्री पद के अनुभव के बाद संवैधानिक पदों पर उनके योगदान को लेकर एक सेमिनार में भाग लिया। सेमिनार के बाद राष्ट्रपति राजभवन पहुंचीं और रात्रि विश्राम किया। आपको बता दें कि 15जुलाई शनिवार को राष्ट्रपति मुर्मू पुन: दिल्ली लौट जाएंगी।

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