
युवकों का विधानसभा पर नग्न प्रदर्शन
जाति प्रमाण पत्र मामले में युवाओं का प्रदर्शन
सरकारी आदेश की अवमानना
छत्तीसगढ। एक विवादित मामले के चलते छत्तीसगढ में जाति प्रमाण पत्रों की मान्यता पर सवाल उठे रहे हैं, बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद से राज्य में गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे के तहत सरकारी नौकरियों और राजनीतिक क्षेत्रों में लाभ उठा रहे हैं। इसे लेकर शिकायतें सामान्य प्रशासन विभाग को पहले से ही मिल रही थीं, पर गंभीरता के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने एक उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का गठन किया। समिति ने जांच की और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों से हटाने के आदेश जारी किए हैं।
परन्तु फिर भी, सरकारी आदेश की पालन में असंवेदनशीलता दिखाई दी। कुछ लोग सेवानिवृत हो गए हैं, कुछ ने जांच समिति की रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती दी है, लेकिन फिर भी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की सूची में ऐसे लोग हैं जो सरकारी आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और महत्वपूर्ण पदों पर प्रोमोशन प्राप्त कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, अनुसूचित जाति और जनजाति के युवा ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। वे पिछले दिनों आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। इसके बावजूद, सरकार और प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है।जाति प्रमाण पत्र मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ने गंभीरता से कार्रवाई की है और एक उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का गठन किया है। समिति ने कुल 758 प्रकरणों की जांच की, जिसमें से 267 प्रकरणों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पाए गए हैं। इसमें सभी सरकारी विभागों में फर्जी प्रमाण पत्र के प्रकरण शामिल हैं, प्रमुखतः खेल और युवा कल्याण विभाग में। इसके अलावा, भिलाई स्टील प्लांट में 18 प्रकरण और सामान्य प्रशासन विभाग और कृषि विभाग में 14-14 प्रकरण हैं।
युवा आंदोलनकारियों ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया, मोर्चा खोला और आमरण अनशन के बाद प्रदर्शन किया है।