मणिपुर में नग्न मानसिकता,  दिल पीड़ा और क्रोध से भरा

मणिपुर में नग्न मानसिकता, दिल पीड़ा और क्रोध से भरा

मानसिक अराजकता, असहिष्णुता, अत्याचार का नंगा नाच

दिल्ली। समाज की मानसिकता इस कदर घिनौनी हो सकती है कि किसी नारी के सम्मान को भी नहीं बख़्शा जाए तो ये समझ नहीं आता कि देश किस ओर जा रहा है। आज के समाज में जिस मानसिक अराजकता, असहिष्णुता, अत्याचार का नंगा नाच हो रहा है और देश भर में महिलाओं को असुरक्षा का भाव दिया जा रहा है, मुमकिन है की भविष्य में इसका खामियाजा भुगतना पड़े। नारी का रूप मां, बेटी, पत्नी और सम्मान की परिभाषा करना नामुमकिन है और यही नारी जब अत्याचार से त्रस्त होकर काली का रूप लेती है तो फिर शिव के तांडव के समान सभी का नाश निश्चित करती जाती है।
इस पर भी पक्ष हो या विपक्ष अपनी राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप करने से भी बाज नहीं आते। महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में गुस्सा है। इसे लेकर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि ऐसी घटना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह मानवाधिकारों और संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन है। इस मामले में उन्होंने सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। मणिपुर मामले में कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इस घटना पर कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है।

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मणिपुर हिंसाः महिलाओं को नग्न कर कराई परेड,

घटना 4 मई को कांगपोकपी जिले के बी फीनोम गांव में हुई। घटना के संबंध में दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में कहा गया है कि एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। वीडियो में कई पुरुष, जाहिरा तौर पर मेइतेई, दो महिलाओं के साथ चलते हुए दिखाई दे रहे हैं, जब उन्हें कुछ क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है। वीडियो में कम से कम कुछ पुरुषों को महिलाओं को छूते हुए दिखाया गया है। 18 मई को कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस द्वारा एक शून्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी। द वायर को पता चला है कि इसे नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया था। जबकि एक एफआईआर आमतौर पर क्षेत्राधिकार द्वारा प्रतिबंधित होती है, एक शून्य एफआईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है। ज़ीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद, पुलिस स्टेशन इसे अपने अधिकार क्षेत्र में स्थानांतरित कर देता है – जिसे बाद में इसे नियमित एफआईआर में बदलना होता है।

गैंगरेप का आरोप, जानिए 4 मई को क्या हुआ था?

जीरो एफआईआर में ‘‘800-1,000‘‘ की संख्या में ‘‘अज्ञात बदमाशों‘‘ के खिलाफ बलात्कार और हत्या का आरोप है। घटना के खिलाफ दायर की गई शिकायत में दावा किया गया है कि इन लोगों पर ‘‘मीतेई युवा संगठन, मीतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरामबाई तेंगगोल और विश्व मैतेई परिषद, अनुसूचित जनजाति मांग समिति के सदस्य‘‘ होने का संदेह है। भीड़ पर बी फ़ाइनोम गांव में घरों को जलाने और भाग रहे पांच लोगों के एक समूह पर हमला करने का आरोप है। समूह में दो पुरुष और तीन महिलाएँ थीं।
शिकायत के अनुसार, समूह को ‘‘नोंगपोक सेकमाई पीएस से लगभग 2 किमी और 33 एआर सोमरेई पोस्ट से लगभग 3 किमी दूर‘‘ टौबुल (सेकमई खुनौ) के पास नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम की हिरासत से छीन लिया गया था। एक आदमी को भीड़ ने तुरंत मार डाला, जिसके बाद सभी महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर होना पड़ा। 20 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और अन्य दो महिलाएँ भाग गईं। जिस महिला के साथ रेप हो रहा था उसके भाई ने जब हमले को रोकने की कोशिश की तो उसकी भी हत्या कर दी गई.

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हृदय क्रोध से भरा हुआ- पीएम मोदी

संसद के मॉनसून सत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मणिपुर की घटना पर दुख जताया। वह बोले कि माताओं-बहनों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह भी कहा कि उनका हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा हुआ है। यह घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है। विपक्ष भी इसे लेकर हमलावर हो गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि मणिपुर पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को देश कभी माफ नहीं करेगा। मनीष तिवारी समेत कांग्रेस के कई सांसदों ने मणिपुर के विषय को लेकर संसद के दोनों सदनों में कार्यस्थगन के नोटिस दिए हैं।

क्यों दो महीने तक चुप बैठी रही सरकार?

यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्टम के बड़े फेलियर का है। क्या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्या कर रहा है? क्यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं।

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर फोरम (आईटीएलएफ) का आरोप है कि गैंगरेप के बाद महिलाओं को नग्न घुमाया गया। यह घटना 4 मई की है। गैंगरेप की घटना राजधानी इंफाल से 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी इलाके में हुई। वीडियो में दिखता है कि लोग महिलाओं से बदसलूकी कर रहे हैं। महिलाएं गिड़गिड़ा रही हैं। पेनोम गांव के मुखिया थांगबोई वेईफेई की शिकायत पर साइकुल पुलिस स्टेशन में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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