
वैदिक पंचांग से जानिए कैसा रहेगा आपका आज…
वैदिक पंचांग
ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार आप का आज का दिन कैसे शुभ होगा?
ज्योतिष पूनम गौड़
जानिए वैदिक पंचांग से कुछ तरीके और उपाय।
दिनांक – 29 अगस्त 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी 14:47 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – श्रावण 23:48 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – सौभाग्य 06:00 तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल – 15:34 से 17:09 बजे तक
सूर्योदय – 05:58
सूर्यास्त – 18:45
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
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व्रत पर्व – चतुर्थ मंगला गौरी व्रत, श्रावण का चौथा मंगलवार ओणम (सूर्य सिंह राशि में और श्रवण नक्षत्र ऋग्वेद उपाकर्म
रक्षा बंधन 30 अगस्त 2023, श्रावण पूर्णिमा
रवि योग – 05:57 से 23:50
💥 विशेष:- त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)
👉श्रावण मास भगवान शिव की पूजा अर्चा के लिए समर्पित है और श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती की पूजा-व्रत किया जाता है, जिसे हम मंगला गौरी व्रत कहते हैं।
👉मंगला गौरी व्रत से मंगल दोष दूर होता है और विवाह के योग बनते हैं। विवाहितों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
👉 देवी की किसी भी सात्विक पूजा में काले, गहरे भूरे, ग्रे या बैंगनी आदि रंगों के कपड़े न पहनें अपितु हरा, लाल, गुलाबी और पीले जैसे शुभ रंगों के कपड़े पहनने चाहिए और पूरा श्रृंगार करें।
👉प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में तैयार हो कर मन्दिर में दीप जलाकर एकाग्रचित होकर व्रत का संकल्प लें। एक चौकी तैयार करें, उस पर लाल रंग का आसन बिछा कर शिव पार्वती का चित्र स्थापित करें। मां को कुमकुम का तिलक लगाएं और पुष्प अर्पित करें। इसी तरह शिवजी को चन्दन तिलक लगाकर पुष्प अर्पित करें।
👉फल, अक्षत, सुपारी आदि समेत 16 श्रृंगार के सामना चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर मां मंगला गौरी की व्रत कथा पढ़ें इसके बाद आरती करें।
👉पूजा के उपरांत मां मंगला गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु की कामना करें और अगले दिन यानी बुधवार को व्रत का पारयण करें।
👉इस दिन फलहार कर सकते हैं या एक समय बिना नमक का भोजन कर सकते हैं।
👉माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मन्त्र:
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
देहि सौभाग्यमारोग्यम देहि में परमं सुखम।
रूपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
ॐ गौरीशंकराय नमः।
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👉जो भक्त मंगल गौरी का व्रत नहीं रख सकते वे दिल से पूजा कर सकते हैं, मानसिक पूजा कर सकते हैं। मां करुणामयी हैं और भाव की भूखी भी।
👉आज ऋग्वेद उपाकर्म भी है, इस दिन जिन ब्राह्मणों ने जनेऊ धारण किया है, वे पुराना जनेऊ उतार कर नया जनेऊ धारण कर सकते हैं।
👉ओणम का पर्व भगवान विष्णु के वामन रूप में अवतार लेने और महान सम्राट महाबलि के धरती पर पुनः आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ओणम का पर्व दैत्य राज महाबलि की पाताल लोक से पृथ्वी लोक पर वार्षिक यात्रा को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि, ओणम के दिन दैत्य राज महाबलि प्रत्येक मलयाली घर में जाकर अपनी प्रजा से मिलते हैं।
👉क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था, इसलिए आज के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना व सुनना शुभ माना जाता है।