वैदिक पंचांग से जानिए कैसा रहेगा आज…?

वैदिक पंचांग से जानिए कैसा रहेगा आज…?

*~ वैदिक पंचांग ~*

ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार

🌤 दिनांक – 16 अगस्त 2023
🌤 दिन – बुधवार
🌤 विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
🌤 शक संवत -1945
🌤 अयन – दक्षिणायन
🌤 ऋतु – वर्षा ॠतु
🌤 मास – अधिक श्रावण
🌤 पक्ष – कृष्ण
🌤 तिथि – अमावस्या शाम 03:07 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
🌤 नक्षत्र – अश्लेशा शाम 04:57 तक तत्पश्चात मघा
🌤 योग – वरीयान शाम 06:31 तक तत्पश्चात परिघ
🌤 राहुकाल – दोपहर 12:43 से दोपहर 02:19 तक
🌞 सूर्योदय-06:18
🌤 सूर्यास्त- 19:07
👉 दिशाशूल- उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – अधिक श्रावण अमावस्या,अधिक श्रावण मास समाप्त
💥 विशेष- अमावस्या  और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 श्रावण में रुद्राभिषेक करने का महत्व 🌷
“रुद्राभिषेकं कुर्वाणस्तत्रत्याक्षरसङ्ख्यया, प्रत्यक्षरं कोटिवर्षं रुद्रलोके महीयते। पञ्चामृतस्याभिषेकादमृत्वम् समश्नुते।। ”
🙏🏻 श्रावण में रुद्राभिषेक करने वाला मनुष्य उसके पाठ की अक्षर-संख्या से एक-एक अक्षर के लिए करोड़-करोड़ वर्षों तक रुद्रलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। पंचामृत का अभिषेक करने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त करता है।

🌷 विष्णुपदी – सिंह संक्रांति 🌷
➡ जप तिथि : 17 अगस्त 2023 गुरुवार को (विष्णुपदी संक्रांति)
पुण्यकाल सुबह 06:51 से दोपहर 01:44 तक |
🙏🏻 विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है | – (पद्म पुराण , सृष्टि खंड)

🌷 श्रावण मास में भूमि पर शयन 🌷
🌷 “केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात” – स्कन्दपुराण
🙏🏻 श्रावण मास में भूमि पर शयन करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।

🌷 पार्थिव शिवलिंग 🌷
🙏🏻 जो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर एकबार भी उसकी पूजा कर लेता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है, शिवलिंग के अर्चन से मनुष्य को प्रजा, भूमि, विद्या, पुत्र, बान्धव, श्रेष्ठता, ज्ञान एवं मुक्ति सब कुछ प्राप्त हो जाता है | जो मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण कर शरीर छोड़ता है वह करोड़ों जन्मों के संचित पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त हो जाता है |’
🙏🏻 कलियुग में पार्थिव शिवलिंग पूजा ही सर्वोपरि है ।
कृते रत्नमयं लिंगं त्रेतायां हेमसंभवम्
द्वापरे पारदं श्रेष्ठं पार्थिवं तु कलौ युगे (शिवपुराण)
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन सदा सम्पूर्ण मनोरथों को देनेवाला हैं तथा दुःख का तत्काल निवारण करनेवाला है |
🌷 पार्थिवप्रतिमापूजाविधानं ब्रूहि सत्तम ॥
येन पूजाविधानेन सर्वाभिष्टमवाप्यते ॥
🙏🏻 अग्निपुराण के अनुसार
🌷 त्रिसन्ध्यं योर्च्चयेल्लिङ्गं कृत्वा विल्वेन पार्थिवम् ।
शतैकादशिकं यावत् कुलमुद्‌धृत्य नाकभाक् ।। ३२७.१५ ।। अग्निपुराण
🙏🏻 जो मनुष्य प्रतिदिन तीनों समय पार्थिव लिङ्ग का निर्माण करके बिल्वपत्रों से उसका पूजन करता है, वह अपनी एक सौ ग्यारह पीढ़ियों का उद्धार करके स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।
🙏🏻 स्कंदपुराण के अनुसार
प्रणम्य च ततो भक्त्या स्नापयेन्मूलमंत्रतः॥
ॐहूं विश्वमूर्तये शिवाय नम॥
इति द्वादशाक्षरो मूलमंत्रः॥ ४१.१०२ ॥
🙏🏻 “ॐ हूं विश्वमूर्तये शिवाय नमः” यह द्वादशाक्षर मूल मंत्र है। इससे शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए।

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