नए इतिहास से शर्मसार होगी कांग्रेस!

नए इतिहास से शर्मसार होगी कांग्रेस!

नए इतिहास से शर्मसार होगी कांग्रेस!

कांग्रेस के इतिहास में यह समय काले अक्षरों में दर्ज होगा

पायलट अब आगे के लिए करें खुद को तैयार

विजय श्रीवास्तव

जयपुर। प्रदेश का सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सचिन पायलट के रूठने से शुरू हुई राजनीति उथल पुथल ने विराट रूप धारण कर लिया है। राजस्थान के इतिहास में जो कभी नहीं हुआ इस बार के घटनाक्रम से राजस्थान की राजनीति देशभर में चर्चा का विषय बन गई है। प्रदेश में इससे पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि कथित तौर पर कांग्रेस के उपमुख्यमंत्री ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ कोई साजिश रची हो और पार्टी को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया हो। प्रदेश की राजनीति और कांग्रेस आज तक जो नहीं हुआ उसी के चारों और घूम रही है। अगर इसे इस तरह से कहें कि प्रदेश में भी अब गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राजनीतिक हालात बनते जा रहे हैं तो गलत नहीं होगा।


ऐसा तो कभी नहीं हुआ
राजस्थान का इतिहास गवाह है कि इससे पहले प्रदेश में कभी इतनी राजनीतिक उथल-पुथल नहीं हुई जिससे पूरी सरकार सकते में आकर विधायकों से लेकर मंत्री तक कि बाड़े बंदी की गई हो। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पर ही पार्टी की मौजूदा सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया हो। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह होना दुर्भाग्यपूर्ण है साथ ही उनका कहना है कि ऐसा भी कभी नहीं हुआ जब राजस्थान के किसी मुख्यमंत्री ने एक स्तर से नीचे जाकर किसी पर आरोप प्रत्यारोप लगाए हों, लेकिन कहते हैं जहां आग लगती है, धुंआ भी वही उठता है। शायद यही कारण है कि अपनी 40 साल की राजनीति में पहली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी पर आरोप लगाते समय मर्यादा और संयम का ध्यान नहीं रख पाए और अपनी ही पार्टी के उपमुख्यमंत्री पर निकम्मा और नाकारा जैसे शब्दों के बाण चला दिए। जानकारों की मानें तो प्रदेश की जनता और देश भर के राजनीतिक दलों में इस तरह के बयानों की आलोचना हो रही है। क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जितने सुलझे, सरल और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं यहां तक कि उन्हें “राजस्थान का गांधी” भी कहा जाता है से इस तरह की भाषा की कोई उम्मीद नहीं रखता, लेकिन आवेश और तकलीफ के आगे सब मिट्टी हो जाता है, यह बात भी मुख्यमंत्री के इस व्यवहार से साबित हो गई है।

अपना लिए सारे हथकंडे
कहते हैं “मोहब्बत और जंग में सब जायज होता है” और वर्तमान में प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य भी यही दिखा रहा है कि प्रदेश के दोनों दिग्गज नेता मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री पायलट दोनों सत्ता की मोहब्बत और आपसी मतभेद जो कि धीरे-धीरे वर्चस्व की लड़ाई बनती जा रही है को खत्म नहीं करना चाहते। शायद इसी के चलते दोनों ने राजनीति में अपनाए जाने वाले सभी हथकंडों को आजमा लिया है। साम-दाम और भेद की स्थितियां तो अब तक अपनाई जा चुकी हैं, अब केवल दंड ही बाकी रह गया है जिस तरह से दोनों नेता आपस में आमने-सामने हैं, इसका खामियाजा या दंड किसी को तो भुगतना ही पड़ेगा। अब बस इंतजार है तो न्यायपालिका और उसके बाद विधायिका के आदेशों का।

प्रदेश की जनता भुगत रही खामियाजा
राजस्थान की राजनीति में दांवपेच के बाद प्रदेश में बने हालातों ने विकास कार्यों को मानों ठप कर दिया है। विश्लेषकों की अपनी परख के अनुसार राजस्थान की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने वर्षों से देश की सबसे बड़ी पार्टी को अंदर खाने खत्म करने का प्रयास किया है, वहीं प्रदेश में चल रहे विकास कार्यो को भी रोक दिया है। जनता विधायकों की बाड़े बंदी से ज्यादा परेशान है क्योंकि उनकी सुनवाई के लिए विधायक नहीं है, वहीं सचिवालय में सभी विभागों के मंत्रियों की परमिशन और हस्ताक्षर किए बिना सारे काम काज, विकास की फाइल अटकी पड़ी हैं, कई सारे प्रोजेक्टों को लेकर अब संशय बन गया है कि वह पूरे हो भी पाएंगे या नहीं।

क्या होगा इसका परिणाम?
वरिष्ठ राजनीतिज्ञों की माने तो यह एक दौर है राजनीति का जो बस कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगा। लेकिन कांग्रेस के इतिहास में यह समय काले अक्षरों में दर्ज होगा। राजनीतिक महत्वाकांक्षा जरूरी है लेकिन इस कीमत पर नहीं आप पार्टी का इतिहास ही बदल दो। वैसे तो इस पूरे घटनाक्रम के लिए कुछ हद तक आलाकमान भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि प्रदेश में ऐसी परिस्थितियों के पैदा होने का अंदेशा जब पहले ही था तो उसका कोई रास्ता,कोई हल क्यों नहीं निकाला गया। यूं ही प्रदेश को अपने हाल पर छोड़ देना न सोनिया- प्रियंका-राहुल गांधी के लिए अच्छा था और ना ही पार्टी के लिए।

पायलट आगे के लिए करें खुद को तैयार
राजस्थान में अब राजनीतिक घटनाक्रम जल्द ही शांत होने वाला है ऐसे संकेत मिल रहे हैं, लेकिन यह घटनाक्रम सबके लिए एक बड़ी सीख छोड़ जाएगा। वरिष् ठों और विश्लेषकों के अनुसार गहलोत की मौजूदा सरकार को फिलहाल तो कोई खतरा नहीं है, वहीं पायलट को भी कोई दूसरा रास्ता वापसी के अलावा नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि भाजपा में जाकर भी फिलहाल उनकी सरकार बनने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं वैसे भी वह खुद ही मना कर चुके हैं कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे लेकिन फिर भी लोगों द्वारा यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा का उन्हें पूरी तरह सपोर्ट है और फिर भाजपा ने भी उन्हें सामने से पार्टी में आने का न्योता दे रखा है। दूसरी तरफ नई पार्टी के लिए भी 36 विधायक कहां से लाएंगे पायलट? ऐसे में फिलहाल तो उनके दावे के अनुसार 30 विधायक भी पूरे नहीं उनके पास, तो फिर उनके पास दो ही रास्ते हो सकते हैं कि वह या तो पार्टी में सुलह कर वापस लौट आएं या दूसरी कि अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार लें और अपने करीब 17 साल के राजनीतिक करियर को खत्म कर लें। वैसे ऐसा होगा नहीं क्योंकि सचिन पायलट की संयम ता और सहनशीलता इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इतने बड़े घटनाक्रम या बखे डे के बाद भी वह शांति से पर्दे के पीछे से खेल देख रहे हैं। अभी तक भी पायलट की ओर से सीएम के द्वारा दिए गए एक भी बयान पर पलटवार नहीं किया गया है, यह संयम नहीं तो और क्या है? इसलिए अब पायलट को लौट लेना चाहिए और फिर से प्रदेश के विकास की बागडोर में मुख्यमंत्री का कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना चाहिए और अगली बार अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए। सूत्रों की माने तो अब पायलट को शांत चित्त होकर सोचना चाहिए, अपने से वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए और अब अगली बार के लिए मुख्यमंत्री बनने के लिए खुद को हर स्थिति से लड़ने के लिए तैयार करना चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि गहलोत खुद भी अगली बार प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होंगे उनके लिए केंद्र में कुछ नई भूमिका की तैयारी हो रही है।सूत्रों की माने तो अब केंद्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है,जो शायद करीब 70 साल के देश के इतिहास को बदल कर रख देगा।

बहरहाल इस घटनाक्रम ने नंबर दो के नेता को एक तो सीख दे ही दी होगी कि जब तक हाथ में धेला ना हो मेले में जाने की बात मन में भी नहीं आनी चाहिए। क्योंकि अब उसी अति महत्वकांक्षी का परिणाम भी स्वयं को अपनी राजनीतिक छवि की किरकिरी करवा कर चुकाना पड़ेगा।
फिलहाल कोर्ट के फैसले का सभी को इंतजार है।

CATEGORIES
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com