वैदिक पंचांग से जानिए, कैसा रहेगा आज…?
*~ वैदिक पंचांग ~*
सेलिब्रिटी ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार आप का आज का दिन कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से कुछ तरीके और उपाय।

ज्योतिष पूनम गौड़
दिनांक – 12 सितम्बर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी 02:21(13 सितम्बर) तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – अश्लेषा 23:01 तक तत्पश्चात मघा
योग – शिव 01:12(13सितम्बर) तक तत्पश्चात सिद्ध
राहुकाल – 15:24 से 16:57 बजे तक
सूर्योदय – 06:04
सूर्यास्त – 18:30
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
पंचक – –
अभिजीत मुहूर्त – 11:53 – 12:43
सर्वार्थ सिद्धि योग – 06:04 से 23:01
व्रत पर्व – 12 सितम्बर प्रदोष
13 सितम्बर मासिक शिवरात्रि
14 सितम्बर अमावस्या
💥 विशेष:- त्रयोदशी को स्त्री सहवास नहीं करना चाहिए तथा बैगन खाने से पुत्र का नाश होता है। तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-38)
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👉 आज के दिन गुड़ खा कर यात्रा करने से दिशा शूल दोष दूर होगा।
👉अगर किन्हीं कारणों से उत्तर की ओर यात्रा करनी पड़ जाए तो पहले कुछ कदम दक्षिण दिशा की ओर उठाएं और फिर अपने रास्ते पर जाएं, सफलता मिलेगी।
👉दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
👉मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। यह दरिद्रता दूर करनेवाला , ऋणमुक्ती के लिये और आर्थिक उन्नती के लिये लाभदायी है।
👉जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं (जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं) वह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं।
👉इसि काल मे भगवान महादेव ने अपना तांडव नृत्य किया था, इसीलिए भी इस काल में शिव तांडव स्तोत्र का पढ़ना उत्तम मन जाता है।
👉प्रदोष यानी सभी दोषोसे मुक्ती प्रदान करनेवाला पुण्यकाल। मनुष्य के जीवन मे रोग , कर्जे , शत्रू , ग्रहबाधा , संकट , पूर्वजन्म के पाप आदि यह सब एक प्रकारका विष ही है और प्रदोष काल के शिव पूजन से भगवान भोलेनाथ की कृपा से हम इस विष के प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं।
इसलिए कहा गया है की
” त्रयोदशी व्रत करे जो हमेशा
तन नाहि राखे रहे कलेशा ”
👉प्रदोष के दिन आप अगर संभव हो तो दिन भर उपवास रखे और शाम को प्रदोष काल मे शिवपूजन , रुद्राभिषेक , शिवस्तोत्रों का पाठ , शिव मंत्र का जाप , 108 बेल के पत्तो से बिल्वार्चन , ध्यान आदि प्रकार से साधना कर सकते हैं।