
लंबी पारी खेल सकते हैं सचिन, CM बनने की संभावना और बढ़ी !
लंबी पारी खेल सकते हैं सचिन, CM बनने की संभावना और बढ़ी !
@सीएम गहलोत से अदावत के बाद प्रदेश की राजनीति का बदल रहा नजारा
2024 तक @सोनिया को ही संभालना होगा अध्यक्ष पद
@कांग्रेस की पहचान बनाए रखने के लिए सोनिया का हस्तक्षेप बेहद जरूरी
ब्यूरो रिपोर्ट
जयपुर/दिल्ली। प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी और केंद्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर चल रहा पॉलिटिकल ड्रामा अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। दो दिन पहले राजस्थान में हुआ सियासी ड्रामा अब एक परिणाम की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री @अशोक गहलोत के राजनीति में दाव पेच से कोई पार नहीं पा सकता यह बात रविवार को हुए घटनाक्रम से समझी जा सकती है। गहलोत का सोनिया और राहुल की बात मानते हुए देशहित में खुद को पार्टी का वफादार सिपाही घोषित करना और उसके बाद प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों द्वारा पहले गहलोत का समर्थन और फिर उनके खिलाफ नाराजगी प्रदेश के लिए कोई साधारण घटना नहीं है।
प्रदेश में आए इस सियासी भूचाल के बाद से क्या सोनिया और राहुल की नजर में बढ़ गए हैं सचिन पायलट के नम्बर ?, क्योंकि अपने स्वभाव के बिल्कुल उलट इस बार @सचिन पायलट ने किसी भी तरह की बयानबाजी और अग्रेसिवनेस नहीं दिखाई बल्कि बड़ी ही शालीनता से बार-बार सोनिया से मिलने का समय मांग कर अपना बड़प्पन दिखा रहे हैं। वहीं इधर सीएम मंत्रिमंडल के मंत्रियों और विधायकों के सियासी ड्रामे ने जहां गहलोत की राजनीतिक कौशल को एक बार फिर दर्शाया है तो दूसरी ओर प्रदेश की जनता के प्रति उनका लगाव और राजस्थान की माटी से ही जुड़े रहने के उनके प्रयासों को भी दर्शा दिया है।
अब जानकार सूत्रों ने खुलासा किया है कि गहलोत अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए मान जाते हैं तो प्रदेश में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस के ज्यादातर विधायक इस पक्ष में नहीं हैं। वो किसी भी हालत में पायलट का सीएम कुर्सी पर देखने को तैयार नहीं हैं लेकिन राजस्थान एक युवा मुख्यमंत्री तौर पर सचिन पायलट को मौका दे सकता है। सीएम पद के शेष बचे कार्यकाल में सिर्फ एक साल बाकी रह गया है ऐसे में यह प्रयोग अगर प्रदेश में होता है और पायलट का विजन प्रदेश को कहीं आगे बढ़ाने में कामयाब हो जाता है तो आने वाले समय में राजस्थान में कांग्रेस फिर से मजबूती से उठ सकती है। हालांकि अगले पांच साल सीएम किस दल का होगा इस पर संशय पूरी तरह से अभी तक बना हुआ है लेकिन ये बात भी तय है कि राजस्थान में सीएम पद को लेकर कांग्रेस की दो बार राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो चुकी है कहीं ऐसा न हो पार्टी को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़े।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान में इस सियासी घटनाक्रम ने प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का सियासी कद बढ़ा दिया है। सचिन पायलट की वक्त-बे-वक्त की बयानबाजी बंद कर देने से केंद्र में उनके प्रति गांधी परिवार का नजरिया बदलता नजर आ रहा है। जहां एक ओर सोनिया गांधी ने गहलोत के पक्ष में हुए इस घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब कि है वहीं दूसरी ओर जैसा कि गहलोत चाहते थे कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पर राहुल गांधी ही बैठे या गांधी परिवार का ही कोई सदस्य इसको फिर से संभाले, होता नजर आ रहा है। अब कांग्रेस में फिर से एक बार अध्यक्ष पद के लिए सोनिया और राहुल गांधी पर निर्भरता बन गई है। ऐसे में जब राष्ट्रीय कांग्रेस का कोई धणी-धोरी बनने को तैयार नहीं है तो सोनिया गांधी को ही अंतरिम रूप से कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान 2024 तक संभालनी पड़ेगी। कांग्रेस में यूं तो गहलोत के नाम पर सर्वसम्मति है लेकिन वो प्रदेश की राजनीति से खुद को अलग नहीं करना चाहते। अब राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ियों की मानें तो 2024 लोकसभा चुनावो में अगर कांग्रेस को अपनी स्थिति मजबूत करनी है या अपनी पहचान थोड़ी भी बनाए रखनी है तो सोनिया गांधी को ही पार्टी को जीवित रखने के लिए अध्यक्ष पद संभालना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2024 चुनावों में कांग्रेस का बड़े राजनीतिक दलों की सूची में से नाम गायब हो जाएगा और जैसे कभी भाजपा वर्चस्व के लिए लड़ी थी उसी स्थिति में कांग्रेस भी पहुंच जाएगी।