ज्ञानवापी को लेकर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा  

ज्ञानवापी को लेकर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा  

मस्जिद या मंदिर, क्या है ज्ञानवापी की कहानी ?

ज्ञानवापी में शिवलिंग या फव्वारा ?

कैसे बनी ज्ञानवापी मस्जिद ?

विजय श्रीवास्तव, 

 

बनारस। अयोध्या में रामलला के मंदिर के बाद देशभर में हिंदू मंदिरों की दबी-छिपी हुई कहानियों का खुलासा हो रहा है। अयोध्या के बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे हिंदुओं के पौराणिक शिव मंदिर की कथाएं और साक्ष्य हिंदू पक्ष की ओर से पेश किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक और मामला मथुरा में श्रीकृष्ण की जन्मस्थली को लेकर सामने आ रहा है।

क्या कहता है इतिहास

इतिहासकार और हमारे पूर्वजों से सुनी बातों पर विश्वास करें तो भारत शुरू से ही अनेक धर्मों को मानने वाला देश रहा है। इसी के चलते हमारे देश में सभी सभ्यताएं और संस्कृतियों को पूरा सम्मान मिला है। दुनियाभर में भारत एक अकेला ऐसा देश है जो धर्म निरपेक्ष राज्य की भूमिका निभा रहा है। लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटने पर मालूम पड़ता है कि हमारे देश में आजादी से पहले विभिन्न देशों के राजाओं ने आक्रमण किए और भारत को काफी लूटा, यहां की संपत्ति और धरोहरों को नुकसान पहुंचाया, इतना ही नहीं हमारे देश में हमारे प्राचीन मंदिरों पर अपना गुस्सा निकाला भारी संख्या में मंदिरों को नुकसान पहुंचाकर निकाला।

मंदिरों-मस्जिदों का क्या है इतिहास

फोटो साभार यूट्यूट डॉट कॉम

इतिहासकारों के अनुसार (Mosque or temple, what is the story of Gyanvapi?) भारत में अंग्रेजों से पहले मुगलों ने आक्रमण कर भारत को हथिया लिया था और भारत में मंदिरों को तुड़वाकर उनकी जगह मस्जिदों का निर्माण करवाया, सर्वाधिक मोहम्मद गौरी और औरंगजेब ने भारत न सिर्फ भारत को लूटा बल्कि यहां ज्यादा से ज्यादा हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया। यूं तो भारत में ऐसे कई और उदाहरण भी हैं लेकिन हाल ही में चर्चा में रहे उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राममंदिर, बनारस में कथित द्वादश ज्योर्तिलिंग यानि ज्ञानवापी और अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ऐसे ही उदाहरण हैं।

क्या है ज्ञानवापी का सच ?

ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मिला शिवलिंग

उत्तरप्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी की कहानी भी कुछ ऐसा ही बयां करती है( What is the truth of Gyanvapi?) कि कैसे ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ। स्थानीय बुजुर्गों और मंदिरों के पंडितों बुजुर्ग महंतों की मानें तो ज्ञानवापी में पौराणिक कथाओं तथा हजारों साल पुराने इतिहास के अनुसार यहां भगवान शिव के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक पन्ना निर्मित ज्योर्तिलिंग की स्थापना की गई थी, जिसमें पूरा शिव परिवार स्थापित था। लेकिन औरंगजेब के शासनकाल में उसने यहां शिवलिंग को शिव पंचायत से अलग कर यहां की दीवारों के ऊपर ही मस्जिद का गुम्बद बनवाया और यहां मस्जिद का निर्माण करवा दिया। हालांकि अभी भी यहां शिवलिंग और नंदी बाबा के साथ शिव परिवार के अन्य सदस्यों के मूर्तियों के मलबे में दबे होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। हाल ही में कोर्ट द्वारा करवाए गए सर्वे में त्रिशूल, नागफणी, मां पार्वती की मूर्ति, नंदी बाबा तो पहले से ही शिवलिंग के साथ में साक्षात विराजमान हैं सहित कई अन्य चीजें जैसे मंदिर का घंटा और पूजन की काफी सारी वस्तुएं मौके पर मिली हैं।

 

यहां भी औरंगजेब की क्रूरता के निशान

इधर गुजरात में सोमनाथ मंदिर, राजस्थान के सीकर में हर्ष की पहाड़ियों पर बना शिव मंदिर भी औरंगजेब की क्रूरता की कहानी आज भी कह रहे हैं। इतिहासकारों के अनुसार सीकर में स्थित हर्ष की पहाड़ियों पर बना शिव मंदिर जो इस समय खंडहर हो चुका है कभी अपनी दीवारों पर बनी कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध था आज भी अपने ऊपर मुगलों के जुल्मों की कहानी सुनाता है।

 

ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद ?

ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद फोटो साभार बीबीसी

हालांकि हिंदू ग्रंथों के अनुसार यहां पहले शिव मंदिर था जिसमें पूरा शिव पंचायत स्थापित थी, लेकिन औरंगजेब के नापाक मंसूबों के कारण यहां मंदिर को तोड़कर इसकी जगह मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। जिस तरह से मस्जिद के वजुखाने के आसपास से यहां मंदिर को खंडित कर मस्जिद बनाए जाने के प्रमाण मिल रहे हैं। (Gyanvapi Temple or Mosque?) आपको बता दें कि सलमान खुर्शीद कांग्रेस सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री भी रह चुके हैं। कुछ समय पूर्व उन्होंने भारत को लेकर एक किताब “सनराइज ओवर अयोध्या नेशनहुड इन आवर टाइम्स” में कई बातों का खुलासा किया था। उनकी इसी किताब में ज्ञानवापी मंदिर के बारे में भी विस्तार से लिखा है।

 

ज्ञानवापी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट

हिंदू पक्ष की ओर से दायर विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद की जांच के आदेश और तथ्य एकत्र करने के लिए एक टीम बनाई गई। इस टीम ने ज्ञानवापी में चप्पे चप्पे की न सिर्फ पड़ताल की बल्कि वहां मंदिर होने के क्या-क्या प्रमाण हैं एकत्र किए। पूर्व एडवोकेट कमीश्नर अजय मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ज्ञानवापी में शिवलिंग के अलावा कई अन्य प्रमाण भी मिले हैं। जिससे यह सिद्ध होता है कि मस्जिद के नीचे भव्य शिव मंदिर था। सर्वे के दौरान खोदी गई दीवार के कोने पर मंदिर का मलबा भी मिला है जिसमें त्रिशूल, शेषनाग, कमल की कलाकृति और हिंदू मंदिर से जुड़े कई अन्य प्रमाण भी मिले हैं। इस रिपोर्ट की मानें तो मस्जिद के नीचे पहले तल पर वजुखाने के सामने एक काले चमकीले पत्थर की शिवलिंग के आकार की कलाकृति मिली है जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा होना बता रहा है। जब जांच दल द्वारा फव्वारे को चलाने को कहा गया तो मस्जिद के केयर टेकर ने इसे चलाने में असमर्थता जताई, बताया कि सालों से इसमें पानी की सप्लाई बंद है इसलिए यह चलता नहीं है। यहां पर नंदी के मुख्य के ठीक सामने यह आकृति बनी है लेकिन दोनों के बीच एक दीवार खड़ी कर दी गई है।

 

सलमान खुर्शीद की किताब में भी ज्ञानवापी की सच्चाई

सलमान खुर्शीद की किताब सनराइल ओवर अयोध्या, फोटो साभार सोशल मीडिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लेखक सलमान खुर्शीद जो खुद मुस्लिम संप्रदाय से आते हैं,  वो यूपीए सरकार में कानून मंत्री भी रहे हैं, उन्होंने “सनराइज ओवर अयोध्या नेशनहुड इन आवर टाइम्स” पुस्तक लिखी थी। कथित तौर पर तब उन्होंने अपनी इस किताब के एक अध्याय “काशी टैम्पल वाराणसी” में इस बारे में साफ तौर पर लिखा कि यहां मस्जिद नहीं बल्कि शिव पंचायत स्थापित थी।  Salman Khurshid ने अपनी पुस्तक में लिखा कि यहां भगवान शिव को समर्पित एक शिव मंदिर बना है जो हिंदू आस्था का केंद्र है। जो कि गंगा नदी की विभिन्न शाखाओं के बीच बसा शहर वाराणसी में है। उन्होंने लिखा कि ये मंदिर न सिर्फ 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है बल्कि हिंदू आस्था के अनुसार सबसे पवित्र स्थल है यह शिव मंदिर। 1124में मुहम्द गौरी ने इस मंदिर को तबाह और तहस नहस कर दिया था। उसके बाद लोगों ने जैसे तैसे करके इस मंदिर का दोबारा बनाया तो इस बार कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मंदिर को तोड़ दिया। हिंदुओं ने फिर इस मंदिर को बनाया तो 1351 में फिरोजशाह तुगलक ने इस बार इस मंदिर को तुड़वा दिया। इसके बाद 1669 में औरंगजेब भारत आया और उसने भी इस मंदिर को तुड़वाकर इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया।  खुर्शीद लिखते हैं कि इसकी पौराणिकता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि स्कंद पुराण में इस मंदिर का उल्लेख है, मंदिर के अंश आपको मस्जिद के हिस्सों में मिल जाएंगे।

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