
मेरी मां के बराबर कोई नहीं…
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक मां ही तो है जो कभी खफा नहीं होती…
विजय श्रीवास्तव
आज मदर्स डे है। यूं तो ये हर दिन मां का ही होता है, लेकिन आज का दिन हमारी मां के लिए कुछ खास है। क्योंकि मां शब्द में दुनिया समाई है, जिसके पास मां है उसके पास ही खुदाई है। मां क्या होती है अगर किसी से भी पूछा जाए तो शायद ही कोई अपने शब्दों में मां के बारे में पूरी तरह से बता पाए क्योंकि मां वो है जिससे दुनिया धरती पर आई है।

विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार
संवरने की कहां उसे फुरसत होती है, फिर भी दुनिया में सबसे खूबसूरत मां होती है, मां के बारे में ये बात बहुत ही साधारण सी है कि वो कभी बच्चों को रोने नहीं देती वो अलग बात है कि गलती पर खुद ही देती है सजा फिर रातभर वो खुद को सोने नहीं देती…
अक्सर मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
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IAS विनिता श्रीवास्तव, सचिव, आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा विभाग, जयपुर
विनिता श्रीवास्तव ने मां के लिए अपने भाव कुछ इस तरह से प्रकट किए विनिता कहती हैं कि
हालातों के आगे जब साथ न जुबां होती है, पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ “मां” होती है।
माँ ना केवल शिशु का प्रथम शब्द है
परंतु वह चिर कालीन अंतर्निहित अनुभूति है।
माँ संतान का संबंध अनंता, अन्तर्यामी अमर है।
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अदिति नागर अपनी मां के साथ

वरिष्ठ टीवी पत्रकार, अदिति नागर
अदिति नागर कहती हैं कि उसके रहते जीवन में कोई गम नहीं होता, दुनिया साथ दे या न दे पर मां का प्यार कभी कम नहीं होता…।
अपनी मां को याद करते हुए उन्होंने कहा- “माँ आप मेरी ऊर्जा बनकर मेरी रगों में बहती हैं,
आपका विवेक मेरे निर्णयों में सम्मिलित है और आपके आदर्श मेरे जीवन पथ को प्रज्वलित करते हैं।
हे कृष्ण, आप माँ को चुराकर ले गए, अब उन्हें सहेज के रखना”
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RAS डॉ. प्रीति सिंह, एस्टेट मैनेजर, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड, जयपुर
आरएएस डॉ. प्रीति सिंह ने मां के लिए अपने अहसास को कुछ ऐसे बयां किया…
मां आज आप हमारे बीच नहीं हैं लेकिन सबसे जीवंत तुम्ही क्यों हो जीवन में,
साड़ी की महक में, चूड़ी की खनक में, बिंदिया की चमक में,
त्योहार में, व्यवहार में, हर सोहार्द्र में, अच्छी सोच में, हर सत्कर्म में
यहां तक कि मेरी कलम में आप ही बसी हैं।
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RAS सोविला माथुर, अपर मुख्य सतर्कता आयुक्त, गृह विभाग, जयपुर
सोविला माथुर ने अपनी मां को बताया कुछ खास रखे हमारे सामने अपने कुछ अहसास
मेरे रूठे दिनों का उजाला भी तुम, किस्मत के दरवाजों का ताला भी तुम
मेरे लिए बहुत खास हो मां, मनभर हैं तेरे लिए कई आस मां..
पहना दूं तुझे एक हल्की सी साड़ी, न वजन तेरे तन पर रहे, न मन भारी-भारी
बैठकर बातें हम करते रहें हजार और तेरे ही मन की कहूं और सुनूं बारंबार…
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RPS सुलेश चौधरी, एएसपी, क्राइम ब्रांच, जयपुर
सुलेश चौधरी कहती हैं कि मां के लिए एक दिन काफी नहीं, क्योंकि मां ही है जो किसी का भी स्थान ले सकती है लेकिन उसकी जगह जीवन में कोई नहीं ले सकता।
मां ईश्वर का अनमोल तोहफा है, आपकी मां से आपको वो शुद्ध प्यार मिलता है जिसे शायद ही आप कभी जान पाते हो।
मां के प्रेम की कोई सीमा, कोई तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि मां की गर्माहट हर जख्म को भर देती है और उसकी डांट से हर दर्द में आराम मिल जाता है।