
श्याम माथुर ने जिंदगीभर की कमाई सौंपी NFAI को
श्याम माथुर ने जिंदगीभर की कमाई सौंपी NFAI को
राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय को सौंपा अपना समृद्ध कलैक्शन
विजय श्रीवास्तव
जयपुर। प्रदेश के वरिष्ठ फिल्म पत्रकार श्याम माथुर ने अपनी निजी लाइब्रेरी की अधिकांश सामग्री राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय (नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया-एनएफएआई) को प्रदान कर दी है। उन्होंने करीब चालीस साल से सहेजा अपना कलैक्शन फिल्म आर्काइव को सौंप दिया है, ताकि भारतीय सिनेमा के बारे में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी और शोधकर्ता इसका इस्तेमाल कर सकें। अगर हम यूं कहें कि उन्होंने अपनी जिंदगीभर की कमाई NFAI को सौंप दी है तो गलत नहीं होगा। उनके इस कलैक्शन में भारतीय सिनेमा से संबंधित ऑडियो सीडी-डीवीडी, किताबें, पोस्टर, चित्र और पत्र-पत्रिकाएं शामिल हैं।
फिल्म पत्रकार श्याम माथुर ने बताया कि उन्होंने अस्सी के दशक में अपने विद्यार्थी जीवन से ही हिंदी सिनेमा से संबंधित महत्वपूर्ण और प्रामाणिक सामग्री को जुटाना शुरू कर दिया था और बाद में पत्रकारिता जीवन में उतरने पर भी उन्होंने इस प्रयास को जारी रखा। पिछले चालीस वर्षों के इस प्रयास के दौरान उन्होंने हिंदी सिनेमा के बारे में देश-विदेश से प्रकाशित अनेक पुस्तकों को खरीदा और उन्हें सहेज कर रखा है। इसी दौरान उन्होंने बड़ी संख्या में फिल्मों के ऑडियो कैसेट और सीडी-डीवीडी का भी कलैक्शन किया।
हिंदी सिनेमा पर आधारित पत्र-पत्रिकाओं को भी उन्होंने नियमित तौर पर खरीदा और इन्हें अपने कलैक्शन का हिस्सा बनाया। अब इस पूरी सामग्री को उन्होंने सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया, पुणे को प्रदान कर दिया है। राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय में भारतीय सिनेमा के सौ साल से अधिक पुराने इतिहास से संबंधित फिल्में, वीडियो कैसेट्स, डीवीडी, किताबें, पोस्टर, चित्र, प्रेस क्लिपिंग, स्लाइड्स, ऑडियो सीडी, डिस्क रिकॉर्ड आदि संग्रहीत हैं।
वे कहते हैं, ‘‘मैंने इस दुर्लभ सामग्री को चार दशकों से अधिक समय तक संरक्षित किया है, अब मैं चाहता हूं कि यह सामग्री आगे भी संरक्षित रहे और अगली पीढ़ी के फिल्म विद्वानों और शोधकर्ताओं को भी उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे सिनेमा से संबंधित हमारी महत्वपूर्ण विरासत को आगे बढ़ा सकें। इस लिहाज से राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय, पुणे से बढ़कर कोई संस्था नहीं है।’’
फिल्म विश्लेषक के तौर पर पहचान बनाने वाले श्याम माथुर ने विभिन्न समाचार पत्रों में सेवाएं दी हैं। वर्तमान में वे स्वतंत्र पत्रकार के तौर कार्यरत हैं। उन्होंने सिनेमा और दूसरे विषयों पर चार पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें से दो पुस्तकों को केंद्र सरकार ने पुरस्कृत भी किया है।