
कपिल सिब्बल के बयान से कांग्रेस में बड़ा बखेड़ा!
कपिल सिब्बल के बयान से कांग्रेस में बड़ा बखेड़ा!
वरिष्ठों ने ली सिब्बल की क्लास, कहा “सोनिया के आशीर्वाद से कांग्रेस में है वजूद”
सोनिया गांधी आईं “एक्शन” में, पांचों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से मांगा इस्तीफा
विजय श्रीवास्तव
दिल्ली। वर्षों से देश की सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा रखने वाली कांग्रेस की ये दुर्दशा होगी किसने सोचा था। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की हार का कांग्रेस पर विपरीत असर पड़ा है। कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद से ही हर कोई कांग्रेस में गांधी परिवार को निशाना बना रहा है। चुनाव से पूर्व जी-23 के सदस्यों के राहुल गांधी को लेकर मुखर होने के साथ इस सिलसिले की शुरूआत हुई जो अब कांग्रेस के सरपरस्त गांधी परिवार को ही कांग्रेस से हटाने की बात पर आकर रूकी है।
चुनावों में हार जीत तो चलती रहती है लेकिन देश की सबसे बड़ी पार्टी की ये दशा राजनीति में आखिर किस ओर इशारा कर रही है? राजनीति के पुराने चावल कहते हैं लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन अगर वर्तमान समय में देश की राजनीति का जो हाल है ऐसा ही चला तो जल्द ही लोकतंत्र के या तो मायने बदल जाएंगे या फिर लोकतंत्र ही खत्म हो जाएगा।
क्या है पूरा मामला
एक दिन पूर्व एक अखबार के साक्षात्कार में पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि गांधी परिवार को अगर पांच राज्यों की इतनी बड़ी हार भी समझ नहीं आई तो वो कल्पना के घोड़े पर सवार है। गांधी परिवार को छोड़ देना चाहिए कांग्रेस नेतृत्व को। उन्हें अब दूसरों को मौका देना चाहिए। CWC के बाहर भी एक कांग्रेस है, उन्हें भी सुना जाना चाहिए, देश में और भी बहुत सारे कांग्रेसी हैं। कपिल सिब्बल के बयान पूरे देश में आग की तरह फैल गए और देशभर से कांग्रेसी नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी। जिसमें अधिकतर नेताओं ने सिब्बल को काफी बुरा-भला भी कहा।
सिब्बल को दिनभर मिलती रहीं नसीहत
सिब्बल के इस बयान को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सिब्बल पर जमकर निशाना साधा। अधीर रंजन चौधरी ने कहा सिब्बल अहसान फरामोश हैं, उन्हें गांधी परिवार ने ही बनाया है। लेकिन बयानों के कारण वो भाजपा की वाहवाही लेना चाहते हैं, उन्हें राज्यसभा में जाना है तो वो भाजपा से चले जाएं।
इधर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा सिब्बल कांग्रेस की संस्कृति के मंत्री नहीं हैं। बड़े वकील हैं, बस कांग्रेस में एंट्री हो गई और सोनिया गांधी के आशीर्वाद और राहुल गांधी के सहयोग से केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई, उनके मुंह से ऐसे शब्द दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
वहीं कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने सिब्बल के बयान को शर्मनाक बताया उन्होंने कहा- कांग्रेस के लिए गांधी परिवार ऑक्सीजन की तरह हैं।
सोनिया गांधी फिर “एक्शन” में
आज इस पूरे प्रकरण को लेकर कांग्रेस में चल रही इस खींचतान के बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बार फिर “एक्शन” में नजर आईं। उन्होंने आज पांचों राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों से इस्तीफा मांग लिया है। हालांकि सिद्धू और उत्तराखंड के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल पहले ही अपना इस्तीफा दे चुके हैं। यूपी कांग्रेस प्रभारी अजय कुमार लल्लू, गोवा के गिरीश चोडांकर तो मणिपुर के एन लोकेन सिंह से भी आलाकमान ने इस्तीफा मांग लिया है।
गौरतलब है कि हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने जैसे कांग्रेस को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है। तभी तो पांच राज्यों में एक भी राज्य ऐसा नहीं बचा जहां कांग्रेस अपनी साख भी बचा पाई हो। वहीं दूसरी और भाजपा के जबरदस्त प्रदर्शन ने भी कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है। लंबे समय से कांग्रेस में राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर कश्मकश चल रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस पार्टी की कमान किसके हाथ में रहेगी, कौन कांग्रेस के रथ का सारथी होगा ये तय नहीं हो पाया है? यही कारण है कि दिशाहीन चल रही कांग्रेस में अब खुलकर लोग विरोध पर उतर आए हैं एक राज्यों में कांग्रेस की फिलहाल सरकार है जिसके दम पर कांग्रेस में थोड़ी सांसें बाकी हैं। अन्यथा अब कांग्रेस में कुछ नहीं बचा है।
राजनीति में दखल रखने वालों की मानें तो भाजपा के कार्यों और रणनीति के आगे कांग्रेस खुद को बचा नहीं पाई और एक के बाद चुनावों में कांग्रेस का धीरे-धीरे सफाया होता गया। पंजाब में जहां कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के झगड़े निपटा कर 12महीने पहले ही दलित मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को आगे किया था। बस वहीं से आग में डला पेट्रोल। अमरिंदर और सिद्धू ने न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में कांग्रेस के नाम को जो बट्टा लगाया उससे कांग्रेस नहीं उभर पाई और एक के बाद कांग्रेस के फैसले सही होते हुए भी गलत साबित होते रहे जिसके चलते पार्टी अब केंद्र में टुकड़े-टुकड़े होती नजर आ रही है।
एक गलती के कारण अंदर ही अंदर खोखली होती गई कांग्रेस
नवजोत सिंह सिद्धू की गलत बयानबाजी के बाद कोई एक्शन नहीं लेना कांग्रेस का गलत कदम था। इस इसके बाद पार्टी अंदर ही अंदर खोखली होती गई। इसके बाद अमरिंदर प्रकरण ने भी तोड़ दिया कांग्रेस को। फिर मनीष तिवारी और फिर अन्य वरिष्ठों ने भी आलाकमान के खिलाफ जैसे मोर्चा ही खोल दिया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी ने न ही तो पद छोड़ा न ही उस पर किसी और को नियुक्त किया, नहीं तो शायद आज कांग्रेस की स्थिति वो नहीं होती जो है। वहीं पार्टी आलाकमान भी बच्चों के प्रेम में फंसकर पार्टी हित में कोई ठोस और बड़ा फैसला नहीं ले पाईं जिसके कारण भी पार्टी को नुकसान तो हुआ ही है। हालांकि राजीव गांधी के बाद सोनिया ने जिस तरह पार्टी को संभाला था लग रहा था कि उनसे बढ़िया मैनेजमेंट कोई कर ही नहीं सकता था। राजनीतिक विश्लेषकों का इस विषय को लेकर मानना है कि सोनिया गांधी के पीछे कांग्रेस के वरिष्ठों की पूरी एक सोच काम कर रही थी तभी पार्टी को इतना दूर तक सोनिया गांधी ला सकीं। लेकिन नेतृत्व विहीन पार्टी आखिर कब तक चलती।