राष्ट्रपति पद की राह पर नीतीश कुमार, प्रशांत केसीआर के कहने पर बुन रहे ताना-बाना

राष्ट्रपति पद की राह पर नीतीश कुमार, प्रशांत केसीआर के कहने पर बुन रहे ताना-बाना

राष्ट्रपति पद की राह पर नीतीश कुमार

प्रशांत किशोर बिछा रहे शतरंज की बिसात

इस शतरंज की बाजी से भाजपा को मात देने की कोशिश

पीके इसके लिए कर चुके कई बड़े नेताओं से मुलाकात

कहा जा रहा पहले पटना और फिर दिल्ली में हो चुकी पीके-नीतीश मुलाकात

मुलाकात के बाद प्रशांत किशोर घूम आए कई मठों में

एनसीपी, टीएमसी, आरजेडी और शिवसेना मठों में फेरा लगा आए प्रशांत किशोर

तेलंगाना में सीएम केसीआर से भी हो चुकी लंबी मंत्रणा

अब केजरीवाल, स्टालिन, अखिलेश यादव से भी मुलाकात की है प्लानिंग

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश बन रहे विपक्षियों के राष्ट्रपति उम्मीदवार

ऐसे में राष्ट्रपति उम्मीदवारी के हां करते ही नीतीश की भाजपा से होगी अदावत

राजनीतिक गलियारों में चल रही एक और चर्चा

नीतीश को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के पीछे है केसीआर का दिमाग

केसीआर चाहते हैं केंद्र की राजनीति में अपनी एंट्री

लोकसभा में अपना स्थान तय करना चाहते हैं केसीआर

शायद इसीलिए प्रशांत किशोर के जरिए केसीआर बना रहे रोडमेप

अपने और नीतीश के लिए केंद्र में जाने का रोडमेप

देशभर में भाजपा के सामने फिलहाल कांग्रेस नजर आ रही असहाय

ऐसे में भाजपा के सामने विपक्ष का मजबूत चेहरा बनना चाहते हैं केसीआर

केसीआर की इसके पीछे थर्ड फ्रंट के सपने का साकार करने की चल रही कोशिश

अगर नीतीश कुमार को वो राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने में हो जाते हैं सफल

तो 2024 लोकसभा चुनावों में खुद को मजबूत बैकग्राउंड के साथ खड़ा कर पाएंगे केसीआर

वहीं दक्षिण के क्षत्रपों की उम्मीदों को भी लग जाएंगे पंख

ममता, केजरीवाल, स्टालिन, केसीआर और शरद पवार के भी खुलेंगे रास्ते

केंद्र में नरेंद्र मोदी के सामने खुद को विपक्ष का चेहरा बनाने के रास्ते

लेकिन ये तभी संभव जब सभी विपक्षी दलों में बन जाए नीतीश के नाम पर सहमति

हालांकि नीतीश कुमार की इसको लेकर नहीं आई कोई प्रतिक्रिया

राजनीतिक गलियारों में हालांकि इस बात की भी है सुगबुगाहट

आखिर क्यों नीतीश कुमार खत्म करेंगे अपना राजनीतिक करियर ?

राष्ट्रपति बनने के बाद रबड़ स्टैंप बनकर रह जाएंगे नीतीश कुमार!

गौरतलब है कि नीतीश पहले इस बात का भी कर चुके हैं जिक्र

कि राष्ट्रीय राजनीति में फिलहाल मोदी से बड़ा नहीं कोई चेहरा

ऐसे में अभी किसी भी बात पर नहीं लग सकती मुहर

इधर एक बात और खटक रही राजनीतिक विश्लेषकों के मन में

 

नीतीश गए केंद्र में तो बिहार में कौन होगा उनका उत्तराधिकारी?

क्या तेजस्वी यादव को मिलेगा बिहार का नेतृत्व संभालने का मौका?

शायद इस सब के लिए अभी कुछ समय और करना होगा इंतजार

और फिर कहते हैं क्रिकेट और राजनीति में कुछ भी, कभी भी संभव

इसलिए अब जनता के लिए तो सिर्फ वेट एंड वॉच की स्थिति

फोटो साभार सोशल मीडिया

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