
ये वक्त भी गुजर जाएगा, बस खुश रहिए !
ये वक्त भी गुजर जाएगा, बस खुश रहिए !
– विजय श्रीवास्तव –
बस एक सोच का ही फर्क है नहीं तो दुनिया तो रंगीन ही है, हमारे पास इतने शब्द हैं जिन्हें बोलकर हम लोगों का दिल जीत लेते हैं और अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं तो क्या आज अपने इन शब्दों की करामात से दूसरों का उल्लू सीधा नहीं कर सकते? आज हमें जरूरत है एक-दूसरे की मदद की, प्यार के दो मीठे बोल की, लोगों से सच्चा झूठ बोलने की (जो झूठ दूसरों को जीवन दे वो झूठ नहीं होता, इसलिए सच्चा झूठ कहा)। आपने लोगों को बटरिंग करते हुए अक्सर कहते सुना होगा, आज तो आप बहुत सुंदर लग रहे हो, आज तो बड़े फ्रेश दिख रहे हो, आज क्या फेस मसाज करवाकर आए हो, आपका फेस बड़ा ग्लो कर रहा है, ये सब वो शब्द हैं जिनसे हम अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं यानि ये ऐसे शब्द हैं जो दूसरों को सुनने में अच्छे लगते हैं और उन्हें प्राउड फील होता है, क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है? इसका कारण है कि हम हमेशा से अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं। अगर हम इसे चमत्कार या जादू भी कहें तो गलत नहीं होगा। क्योंकि कुछ शब्द वाकई चमत्कारी होते हैं और जो शब्द दूसरों के जीवन में खुशियां भर दे तो वो तो वैसे ही किसी चमत्कार से कम नहीं हैं।
सुना है शब्द चमत्कार करते हैं और क्योंकि शरीर दिमाग की बात मानता है यानि The body follows the mind तो हमें दूसरों को इन दिनों बस अपने शब्दों का चमत्कार ही दिखाना है। हमें पता है कि हम सभी को शब्दों का जादू घोलना आता है आज बस उसी जादू को रूटीन में लाने की जरूरत है। आज पहले से कुछ ज्यादा स्लिम दिख रहे हैं, आज तो बड़े तरो-ताजा नजर आ रहे हो, अगर इस तरह के शब्दों से किसी की जान बचाई जा सकती है तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। आपके ये शब्द दूसरों को खुशियां दे सकते हैं और लोगों को मोटिवेट भी करते हैं। तो फिर आज से कुछ दिनों तक खुलकर सच्चा झूठ बोलिए और लोगों को इस महामारी के दौर में लोगों को खुश रहने में मदद किजीए।
कोरोना संकट के समय जब चारों तरफ सिर्फ बीमारी और उससे हो रही परेशानियों की खबरें सुनाई और दिखाई दे रही हैं ऐसे में रेंडमली किए गए सर्वे से इस बात का खुलासा हुआ है कि हमें खुशियों की जरूरत है, सकारात्मकता की जरूरत है, हमारी सोच बदलने की जरूरत है, लोगों को सहारा देने की जरूरत है और अगर हम ऐसा करने में थोड़ा भी कामयाब होते हैं तो हम अपने आस-पास बने नेगेटिव माहौल को काफी हद तक कम करने में सफल हो पाएंगे। सर्वे के अनुसार किसी भी विकट परिस्थिति में मन को खुश रखने का लाभ हमेशा हमें मिलता है यानि खराब परिस्थितियों में भी जो लोग खुश रहने के बहाने ढूंढ लेते हैं वो जल्द ही परेशानियों से बाहर निकल जाने में सक्षम हो जाते हैं। एक पुरानी कहावत भी है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत यानि आप अपने मन को अगर समझा लो कि जो होगा सब अच्छा होगा, ये परिस्थितियों कुछ दिन की मेहमान हैं, इसके बाद जो भी होगा अच्छा ही होगा और ऐसा सोचकर आप अपना मन खुश रखने में लगाएं तो पक्का ही आपकी परिस्थितियों में बदलाव नजर आने लगेगा। कुछ समय पहले एक फिल्म में भी इस तरह की बात का जिक्र किया गया था जिसमें “ऑल इज वैल” शब्द को बखूबी प्ले किया गया था। जिसका चमत्कार भी फिल्म में बखूबी दिखाया गया था। आज भी वैसे ही कुछ शब्दों और बातों की जरूरत हैं लोगों को कोरोना की बीमारी से निकालने के लिए, क्योंकि जब तक हम सकारात्मक सोच नहीं रखेंगे तब तक जल्द अच्छे नहीं हो सकेंगे, तो खुद से खुदी को सही करने के लिए जितना ज्यादा हो सके खुश रहें, गाने सुनें, कॉमेडी सीरियल देखें, फिल्में देखें, अच्छी किताबें पढ़ें, बच्चों और परिवार के साथ घर पर अच्छा समय बिताएं।
कोरोना काल में अपने दिमाग से टेंशन और नेगेटिविटी हटा दें। यहां मुझे एक शायर की दो पंक्तियां याद आ रही हैं “लगता है जिंदगी हमसे भी खफा है चलिए छोड़िए अपनी भी कौनसी पहली दफा है”। कुछ मनोचिकित्सकों के अनुसार दिमाग में जिस बात को हम टेंशन से सोचते हैं फिर वैसे ही परेशान कर देने वाले लक्षण हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं और हम न चाहते हुए भी अपने शरीर को बीमारियों का घर बना देते हैं। क्योंकि हमारा दिमाग इतना शक्तिशाली है कि वो कोई भी बीमारी हमारे शरीर में पैदा करने और उसका इलाज करने की क्षमता रखता है। इसलिए बीमारी से डरें नहीं क्योंकी आपका डर आपकी बीमारी से लड़ने की शक्ति कम कर देता है। इससे बचने का एकमात्र तरीका ये ही है कि हम अपने मन को खुश रखें और गलत बातों को खुद के दिमाग पर हावी नहीं होने दें क्योंकि जो दिमाग सोचता है शरीर वैसी ही चीजें अपने अंदर उत्पन्न कर लेता है।
जयपुर के एक चिकित्सक डॉक्टर प्रदीप मंगल जो कि एक काउंसलर भी हैं के अनुसार “लोगों को दृढ़ निश्चय कर जितना हो सके खुश रहते हुए अपने आसपास के माहौल को भी सकारात्मक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि कोई नेगेटिव वेव्स उन्हें परेशान न कर सकें और ऐसा तभी संभव है जब व्यक्ति खुद सकारात्मक सोच रखे और खुश रहे। आज हजारों ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर हैं जो लोगों को खुश रहने की सलाह दे रहे हैं साथ ही ऐसे भी वीडियो या छोटी छोटी क्लिपिंग्स की सोशल मीडिया पर लाइन लगी हुई जो लोगों को हंसाने के लिए काफी अच्छी हैं। ये समय ऐसा है जब हमें नेगेटिव खबरों को ज्यादा तवज्जो नहीं देनी है, खबरें खूब हुई अब ऐसे अच्छे किस्से कहानियों और चुटकुलों से भरे वीडियो देखने और शेयर भी करने चाहिए।”
हालांकि सरकारों की गाइडलाइन के अनुसार हमें घरों में रहकर खुद को बीमारी से बचाए रखने की जरूरत है। क्योंकि आपका जीवन आपके परिवार के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए घर पर रहकर सुरक्षित रहें, अगर आप कोरोना से ग्रसित भी हैं तो जब तक ज्यादा गंभीर स्थिति न हो पैनिक न हों, दवाएं और घरेलू नुस्खे जिनके बारे में डॉक्टर्स ने भी बताया है का उपयोग करते रहें।
कुछ घरेलु नुस्खे ऐसे हैं जो सदाबहार हैं, हमेशा आपको स्वस्थ रखने में मदद करेंगे जैसे दिन में दो बार गर्म पानी पीएं, बाहर से घर में आते ही साबुन से नहाएं, कपड़े गर्मपानी या साबुन या सर्फ से धोएं, कम से कम एक दिन छोड़कर अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी, लोंग, तुलसी, नींबू, जीरा, काला नमक और गुड का हैंड मेड या बाजार का आयुर्वेदिक काढ़ा अवश्य पीएं, इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और ऐलोपैथिक दवाओं का भी सेवन करें, दिनभर में पोष्टिक खाना लें, भूखे बिल्कुल न रहें, नींबू, संतरे या मौसमी का अधिक से अधिक प्रयोग करें, हो सके तो नारियल पानी भी पीएं, दिन में दो बार नाक और मुंह से स्टीम जरूर लें और रात को सोते समय हल्दी वाला दूध जरूर पीएं। ये सब ऐसे नुस्खे हैं जो आपको हमेशा स्वस्थ रखेंगे। बुजुर्गों के अनुसार कोरोना का रामबाण इलाज है लाल प्याज को काटकर सैंधा नमक लगाकर खाएं तुरंत ही आराम के साथ-साथ वायरस का भी इससे खात्मा हो जाएगा।
बहरहाल लोगों को अभी सबसे ज्यादा जरूरत है एक दूसरे का ध्यान रखने की, जितनी ज्यादा हो सके कोशिश करें आपके आसपास पॉजिटिव माहौल बना रहे। ऐसा करने से आप खुद तो बीमारी से दूर रहेंगे ही साथ ही अपने आसपास के लोगों को भी आप स्वस्थ रखने में कामयाब हो पाएंगे। क्योंकि कहते हैं ना कि उम्मीद ऐसी ऊर्जा है जिससे जिंदगी का कोई भी अंधेरा रोशन किया जा सकता है, तो उम्मीद मत हारिए। गुलजार साहब की दो पंक्तियां यहां सटीक बैठती है कि “वक्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इसकी भी आदमी सी ही है” तो और अपनों का ख्याल रखिए।