
तनिक मुझे अभिमान नहीं…. डॉ अखिलेश जैन
तनिक मुझे अभिमान नहीं, हर भाषा का सम्मान यहां
पर बात जो अपनी हिंदी में, वो बात किसी में और कहां।
चंद सुरीले शब्दों में, जज्बात करे दिल के जो बयां
जो बात है अपनी हिंदी में, वो बात किसी में और कहां।
हर शब्द की एक मर्यादा है, हर शब्द में बसती एक दुनिया
जो बात है अपनी हिंदी में, वो बात किसी में और कहां।
हार जीत या राग द्वेष, व्याकुलता या फिर भावों में
कोमलता हिंदी भाषा की, मरहम भरती सब घावों में।
वृहद स्वरुप में लिए हुए, वसुधैव कुटुम्ब का भाव जहाँ
जो बात है अपनी हिंदी में, वो बात किसी में और कहां।
डॉ अखिलेश जैन
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