
राजस्थान पर्यटन, ऐसा सपना जो हर कोई देखना चाहता…
राजस्थान में पर्यटन एक ऐसा सपना जिसे हर किसी को देखना व पूरा करना चाहिए…
पर्यटन की विविधता राजस्थान को रंग-रंगीला राजस्थान बनाती है
जयपुर। राजस्थान शायद सभी पर्यटकों के लिए एक ऐसे सपने के समान है जिसे सभी को देखना चाहिए। यहां के वास्तुकला को दर्शाने वाले स्मारक है। चमकदार रंग-बिरंगे परिधान पहने शहरी व ग्रामीण, शानदार हस्तशिल्प, चमकदार रत्नों के साथ ही यहां हर शहर के पास अपनी एक कहानी है।
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राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य, पशु मेला या उत्सवों की धूम साल भर बनी रहती है और दिल को छूने वाली मेहमाननवाज़ी – यह सब मिलकर राजस्थान को रंग-रंगीला राजस्थान बनाते हैं। यहां परंपरा और आधुनिकता का संगम सहजता से होता है, जो यहां आने वालों को उत्साह से भर देता है।
इन राजस्थान में नए पर्यटन स्थल चिन्हित किए जा रहे हैं। पर्यटकों के लिए नए आकर्षण का केंद्र स्थापित करने के लिए पर्यटन विभाग जुटा है। यहां बर्ड टूरिज्म के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। यहां भू-विज्ञान टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है। पर्यटकों रेगिस्तान में समुद्र का अहसास भी हो सकता है वहीं वेडिंग डेस्टिनेशन में भी राजस्थान दुनिया में अव्वल बनने की ओर अग्रसर है।
सामुदायिक संरक्षण व वन संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है- मेनार
बात करें बर्ड टूरिज्म की तो राजस्थान अपनी पर्यटन विविधता के लिए प्रसिद्ध है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म, प्रदेश के पर्यटन का अहम हिस्सा है। बर्ड टूरिज्म में भी राजस्थान का कोई सानी नहीं भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान सबसे प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य मे गिना जाता है जो कि प्रदेश की सबसे पहली दो रामसर साइट्स में से एक है।
इन दिनों प्रदेश में उदयपुर जिले से चालीस किलोमीटर दूरी मेनार पक्षी ग्राम खासी चर्चाओं में है क्योंकि इसे जल्द ही रामसर साइट घोषित किया जाने वाला है साथ ही मेनार ग्राम का चयन पर्यटन मंत्रालय द्वारा “ट्रेवल फॉर लाइफ” के तहत “बेस्ट टूरिज़्म विलेज कॉम्पिटीशन 2023” में सिल्वर श्रेणी में हुआ है।
उदयपुर जिले की वल्लभ नगर तहसील में स्थित मेनार गांव बर्ड विलेज यानी परिदों के गांव के नाम से विख्यात है। पक्षियों की 257 से अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलती है। पक्षी प्रेमी ग्रामीणों ने तालाबों को पक्षियों के लिए संरक्षित एवं समर्पित रखा है। 19.07.2023 को मेनार गांव स्थित ब्रम्हा तालाब और ढंड तालाब को वेटलैंड घोषित किया है। वन विभाग द्वारा इसे रामसर साइट घोषित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजे जा चुके हैं।
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मेनार ग्राम की बात करें तो यह गांव अपने आप में अनूठा है। यहां पर पर्यटकों को मेवाड़ की शौर्य गाथाएं, परम्पराएं, सभ्यता, प्राकृतिक, संस्कृति,विरासत व पुरातत्व पर्यटन व संरक्षण का संगम देखने को मिलता है। जो एक ऐसा सुखद अहसास है जो पर्यटकों को मेनार के अलावा कहीं नहीं मिल सकता।
यह ग्राम सामुदायिक संरक्षण (कम्यूनिटी कंजर्वेशन) व वन संरक्षण ( फॉरेस्ट कंजर्वेशन) के तालमेल का बेहतरीन उदाहरण है। पक्षीविदों का कहना है कि यहां के पक्षियों में इंसान के प्रति डर नहीं है वह उनके सामने भी सहज रहते हैं, बल्कि बेहद नजदीक से यहां पक्षियों को देखा व महसूस किया जा सकता है।
मेनार को पक्षी गांव ब्रह्मा तालाब व ढंढ तालाब हैं जिन्हें ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से संरक्षित कर रखा है। यहां के स्वयं सेवक ( वॉलियन्टर्स) इतने सजग हैं कि फोटोग्राफर्स को पक्षियों को उड़ा कर तस्वीर लेने की सख्त मनाही है, जिसे भी फोटो खींचनी है वह उसे यहां सहज रूप से भी उपलब्ध हो जाती है। मेनार गांव में वॉलियन्टर्स को पक्षी मित्र के नाम पुकारा जाता है। इन पक्षी मित्रों की जागरूकता व संवेदनशीलता के कारण ही मेनार आज वैश्विक पर्यटन मंच पर अपनी सशक्त उपस्थित दर्ज करवा रहा है।
भू विज्ञान पर्यटन की ओर अग्रसर पर्यटन विभाग
राजस्थान में भू-विज्ञान पर्यटन स्थापित करने की दिशा में भी विभाग कदम बढ़ा चुका है। पर्यटन विभाग की ओर से देश के तीसरे और राजस्थान के पहले क्रेटर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रदेश के बारां जिला मुख्यालय से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूरी पर स्थित रामगढ़ क्रेटर स्थित है। यह एक भू विरासत क्षेत्र है जो कि 600 मिलियन वर्ष पुराना माना जाता है। आगामी दिनों में यह राजस्थान सहित देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल बन कर उबरेगा।
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विभाग के अधिकारियों के अनुसार पर्यटन विभाग भू विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अग्रसर है। इसी श्रंखला में रामगढ़ क्रेटर में पर्यटन की प्रचुर संभावनाओं को विकसित किया जा रहा है। यहां पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्राकृतिक सुंदरता के साथ, भू विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास का सामंजस्य है जो पर्यटकों को नैसर्गिक रुप से अपनी ओर खींचेगा। वन विभाग की ओर से रामगढ़ क्षेत्र रिजर्व कंजरवेशन एरिया भी घोषित कर दिया गया है । पर्यटन विभाग, वन विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग इस क्षेत्र के विकास कार्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं । देश में पहले दो क्रेटर महाराष्ट्र में लूनर क्रेटर व मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं।
राजस्थान में समन्दर-
राजस्थान में समन्दर की कल्पना भी यहां सार्थक हो रही है जबकि थार के रेगिस्तान में समुद्र की परिकल्पना केवल मृगमारिचिका होती है,लेकिन बाड़मेर से चालीस किलोमीटर दूर स्थानीय निवासी समुद्री किनारों के बीच पिकनिक बनाते हैं। दरअसल, रेडाणा गांव बाड़मेर जिला मुख्यालय से और भारत-पाकिस्तान की सरहद से 60 किलोमीटर दूर है। यह बेहद कम बारिश वाला इलाका है। तापमान में यहां 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। गांव रेडाना की मिट्टी की विशेषता और यहां की भौगोलिकपरिस्थिति इसे गोवा जैसा बना रही है।
रेडाणा गांव पहाड़ों से घिरा हुआ है। यूं तो पहाड़ी इलाके में राजस्थान के अनेक गांव है, लेकिन रेडाणा की मिट्टी की खासियत यह है कि इसमें करीब 2 फीट नीचे ग्रेवल (एक तरह चिकनी मिट्टी) हैं, जो पानी को रेगिस्तान की अन्य मिट्टी की तुलना में कम सोखती है। इसलिए यहां पर पानी एकत्रित हो जाता है। रेडाणा में यह बरसाती पानी करीब छह माह तक भरा रहता है।
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वैसे तो राजस्थान के अनेक गांव-कस्बों में बरपानी पानी छह माह की बजाय सालभर तक भरा मिल जाएगा, मगर उन गांव-कस्बों में वह पानी जोहड़, तालाब, नदी या किसी झील के रूप में मिलेगा जबकि रेडाणा की भूमि समतल है। ऐसे में यहां भरा पानी किसी समुद्र की तरह दिखता है। रेडाणा सरहदी जिले बाड़मेर में होने के कारण यहां पर आबादी अन्य गांवों की तुलना कम है। जिस जगह पानी यह भरता है वहां 10 से 15 किलोमीटर का दायरा खाली पड़ा है। ऐसे में रेगिस्तान में यह किसी गोवा के समुद्र जैसा दिखता है। आबादी की पहुंच कम होने के कारण पानी साफ व स्वच्छ है। अन्य गांव-कस्बों में जमा बरसाती पानी की तरह यह मटमैला नहीं दिखाई देता है।
वेडिंग डेस्टिनेशन में भी नंबर वन बनने की दिशा में राजस्थान
दूसरी ओर वेडिंग डेस्टिनेशन में भी नंबर वन बनने की ओर अग्रसर राजस्थान वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी उपस्थिति लगातार दर्ज करवा रहा है। रंग रंगीले राजस्थान में बर्फ और समुद्र के अतिरिक्त पर्यटन के सभी आवश्यक उत्पाद मिलते हैं। यही कारण है कि राजस्थान देशी व विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है।
राजस्थान में देश की 75 प्रतिशत हैरिटेज प्रॉपर्टी हैं। यही कारण है कि पूरे देश में राजस्थान वेडिंग डेस्टिनेशन क्षेत्र में पहली पसंद बनता जा रहा है। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर सहित राज्य के कई अन्य जिलों में भी किले, गढ़, हवेलियां इत्यादि हैं जो धीरे धीरे डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए देशी-विदेशी सैलानियों के लिए पहली पसंद बनते जा रहे हैं। देश में चाहे फिल्मी सितारे हो या फिर उद्योगपति यही नहीं हॉलीवुड के सितारे भी अपनी शादी को विवाहोत्सव में बदलने के लिए आतुर रहते हैं और राजस्थान का रूख कर रहे हैं।
यूं तो प्रदेश में अनगिनत हैरिटेज गढ़, हवेलियां, किले आदि हैं लेकिन 120 से अधिक गढ़, किले, हवेलियों पर डेस्टिनेशन वेडिंग की जा रही है। इस संख्या से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए कितना मुफीद है। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार राजस्थान वैडिंग डेस्टिनेशन के लिये खासा प्रसिद्ध है। ख्यातनाम वैडिंग डेस्टिनेशन के अतिरिक्त इन दिनों कोटा, भरतपुर, अजमेर, पुष्कर, व प्रदेश का शेखावाटी इलाका वैडिंग डेस्टिनेशन के लिए खासे लोकप्रिय हो रहे है।
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प्रदेश का पर्यटन विभाग इन दिनों स्थापित व ख्यातनाम पर्यटन स्थलों के साथ ही हर जिले में नए पर्यटन स्थलों को चुनकर उनका विकास करने में जुटा हुआ है जिससे कि जिससे सैलानियों का सम्मोहन व आकर्षण राजस्थान के प्रति बना रहे। पर्यटन विभाग राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप काम करते हुए यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी पर्यटक स्थल पर यदि अधिक से अधिक पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित करनी है तो उसके लिए एक समग्र कार्य योजना बनाकर आगे बढ़ा जा सकता है। इसके लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर, पर्यटक स्थलों तक पहुंच के लिए बेहतर आवागमन की सुविधाएं विकसित करनी होगी। जिसमें रेल, सड़क और हवाई मार्ग सम्मिलित है।
इसी प्रकार पर्यटक स्थलों के आसपास पर्यटकों के लिए आतिथ्य स्थल बेहतर होने चाहिए, आसपास का पूरा क्षेत्र आधुनिक सुविधाओं से युक्त होने चाहिए, शुद्ध पेयजल और स्वच्छ शौचालय के साथ गुणवत्ता पूर्ण आधारभूत सुविधाओं का विकास करना होगा। इसी सोच के साथ राजस्थान पर्यटन विभाग अपनी आगामी योजनाएं बना रहा है
