गीतांजली नर्सिंग कॉलेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

गीतांजली नर्सिंग कॉलेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

मनोचिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा — मानसिक बीमारियां भी सामान्य रोगों की तरह हैं, समय पर इलाज जरूरी

छात्रों और शिक्षकों को दी गई जानकारी – मानसिक रोग, नशा और मोबाइल एडिक्शन पर विशेष चर्चा

डॉ जितेन्द्र जीनगर बोले – मानसिक बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, इसे छिपाना नहीं समझना चाहिए

उदयपुर,dusrikhabar.com। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर 2025) के अवसर पर गीतांजली नर्सिंग कॉलेज में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और छात्रों-शिक्षकों में मानसिक रोगों की समझ को बढ़ाना था।

गीतांजली नर्सिंग कॉलेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 के अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करने के लिए एक प्रेरणादायक कार्यक्रम हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के बीच मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उनसे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य वातावरण तैयार करना था।

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गीतांजली नर्सिंग कॉलेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजितमानसिक रोग न उम्र पूछता है, न धर्म

कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र जीनगर ने की। उन्होंने कहा कि “मानसिक बीमारी किसी को भी हो सकती है। यह न तो उम्र देखती है, न धर्म, न वर्ग। चाहे व्यक्ति अमीर हो या गरीब, शहर का हो या गांव का, हर कोई इससे प्रभावित हो सकता है।”

आचार्य डॉ. मनु शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि “जिस प्रकार शारीरिक बीमारियां होती हैं, उसी प्रकार मानसिक बीमारियां भी होती हैं। समाज को इन्हें स्वीकार करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।”

इस अवसर पर डॉ. भक्ति मुरके, डॉ. धीरज गोया, डॉ. राजीव रंजन राज और डॉ. गौरव पुरोहित ने भी छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने मानसिक बीमारियों से जुड़ी भ्रांतियों, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति, मोबाइल एडिक्शन, और मनोचिकित्सक दवाओं के सही उपयोग पर विस्तार से चर्चा की।

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विशेषज्ञों ने बताया कि मानसिक रोगों से निपटने में नर्सिंग कर्मियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों को मानसिक रूप से मजबूत रहना चाहिए ताकि वे मरीजों की बेहतर सहायता कर सकें।

कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नोत्तरी सत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आयोजन का समापन ‘सकारात्मक सोच और आत्म-देखभाल’ के संदेश के साथ हुआ।

काम का दबाव और सोशल मीडिया के प्रभाव से मानसिक रोगों की शुरुआत

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य। काम का दबाव, सोशल मीडिया का प्रभाव, रिश्तों में तनाव और असंतुलित दिनचर्या — ये सब धीरे-धीरे मानसिक रोगों (Mental Disorders) का कारण बनते जा रहे हैं। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और सही बचाव के उपाय अपनाना बेहद ज़रूरी है।

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मानसिक रोगों के आम लक्षण (Symptoms of Mental Illness):

  1. लगातार उदासी या निराशा (Depression):
    अगर व्यक्ति लंबे समय तक दुखी, उदास या निराश महसूस करता है, तो यह मानसिक अवसाद (Depression) का संकेत हो सकता है।

  2. चिड़चिड़ापन और गुस्सा (Irritability & Anger):
    बिना किसी कारण के गुस्सा आना या छोटी बात पर भड़क उठना भी मानसिक असंतुलन का संकेत है।

  3. नींद में गड़बड़ी (Sleep Disorder):
    बहुत ज़्यादा सोना या बिल्कुल नींद न आना — दोनों ही स्थितियाँ मनोवैज्ञानिक समस्या का परिणाम हो सकती हैं।

  4. भूख या वजन में बदलाव:
    अचानक भूख कम या ज़्यादा लगना, वजन का तेजी से बढ़ना या घटना — यह मानसिक तनाव (Stress) से जुड़ा हो सकता है।

  5. एकाग्रता में कमी:
    ध्यान केंद्रित न कर पाना, निर्णय लेने में कठिनाई और याददाश्त कमजोर होना भी एंग्ज़ाइटी (Anxiety) या डिप्रेशन के लक्षण हैं।

  6. सामाजिक दूरी (Social Withdrawal):
    दोस्तों या परिवार से बातचीत कम करना, अकेले रहना पसंद करना या सामाजिक आयोजनों से बचना।

  7. निरर्थकता या आत्मघाती विचार:
    जीवन में रुचि खत्म होना या आत्महत्या के विचार आना गंभीर मानसिक बीमारी का संकेत है — ऐसे में तुरंत मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से संपर्क करें।

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मानसिक रोगों के प्रमुख कारण (Causes of Mental Disorders):

  • तनाव (Stress) और दबावपूर्ण जीवनशैली

  • नींद की कमी और अनियमित दिनचर्या

  • सोशल मीडिया और नकारात्मक तुलना की प्रवृत्ति

  • आर्थिक असुरक्षा या नौकरी का तनाव

  • परिवारिक विवाद या रिश्तों में दूरी

  • आनुवंशिक कारण (Genetic Factors)

  • नशे की लत या शराब का अत्यधिक सेवन

मानसिक रोगों से बचाव के उपाय (Prevention & Care Tips):

  1. खुलकर बात करें:
    अपनी भावनाओं को मन में न रखें। परिवार, मित्रों या विशेषज्ञों से खुलकर संवाद करें।

  2. नियमित व्यायाम करें:
    रोज़ाना 30 मिनट की योग, ध्यान (Meditation) या वॉक मानसिक तनाव कम करने में मदद करती है।

  3. संतुलित आहार लें:
    हरी सब्ज़ियाँ, फल, ड्राई फ्रूट्स और पर्याप्त पानी — ये सब मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखते हैं।

  4. नींद को प्राथमिकता दें:
    रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद मानसिक स्थिरता और मूड नियंत्रण में सहायक है।

  5. नशे और शराब से दूर रहें:
    ये चीज़ें तनाव को बढ़ाती हैं और मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकती हैं।

  6. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएँ:
    मोबाइल और सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें। सप्ताह में एक दिन “नो स्क्रीन डे” रखें।

  7. विशेषज्ञ से परामर्श लें:
    अगर तनाव या अवसाद लंबे समय तक बना रहे, तो मनोवैज्ञानिक (Psychologist) या मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से सलाह ज़रूर लें।

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