आज भी कायम है गुरु शिष्य की परंपरा

आज भी कायम है गुरु शिष्य की परंपरा

गुरुपूर्णिमा पर देशभर में आज हुए कई आयोजन

जयपुर में भी गुरु स्थानों पर हुई पूजा अर्चना

आज भी कायम है गुरु शिष्य की परंपरा

आज भी कायम है गुरु शिष्य की परंपरा

जयपुर। गुरू पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरूजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं। हमेशा की तरह इस बार भी देशभर में यह पर्व की तरह मनाया गया। लोगों ने गुरु शिष्य की परंपरा को निभाते हुए अपने गुरुओं की पूजा वंदना की।

महाराज श्री कमलेश जी

महाराज श्री कमलेश जी

जयपुर में सांगानेर स्थित महाराज श्री कमलेश जी के स्थान पर भी उनके शिष्यों ने महाराज की चरण वंदना की। कोरोना की वजह से इस बार महाराज श्री लोगों को अपने घरों पर ही पूजा अर्चना की सलाह दी। गुरु महाराज ने कहा अपने घरों में खीर का भोग लगाकर सभी घरवालों को बांटना, वही अर्चना स्वीकार होगी। कमलेश जी महाराज ने कहा जल्द ही उनकी तरफ से अपने सभी शिष्यों के लिए एक प्रसादी का आयोजन किया जाएगा तब सभी भक्तों को बुलाया जाएगा।

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