वैदिक पंचांग से जानें, कैसा रहेगा आपका आज…?

 वैदिक पंचांग

(Jyotish) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार आज का पंचांग (Panchang) कैसे शुभ होगा?

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़

 

दिनांक – 20 सितम्बर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – (Panchang)1945

अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी 14:15 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – विशाखा 14:57 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग – विषकम्भ 03:03(21 सितम्बर) तक तत्पश्चात प्रीति

(Panchang) राहुकाल – 12:20 से 13:51 बजे तक
सूर्योदय – 06:15
सूर्यास्त – 18:24
दिशाशूल – उत्तर दिशा में

Jyotish पंचक – 26 सितंबर 2023, 20:28 से 30 सितंबर 2023 को 21:08 तक
व्रत पर्व – ऋषि पंचमी
स्कन्ध षष्ठी
सर्वार्थ सिद्धि योग – 15:00 से 06:09 (21 सितम्बर)
अमृत सिद्धि योग – 15:00 से 06:09 (21 सितम्बर)
रवि योग – 15:00 से 06:09 (21 सितम्बर)

Read Also:मोती डूंगरी में कहां से आई गणेश प्रतिमा…?

Jyotish💥 विशेष:- पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)

👉आज के दिन धनिया या टिल खा कर कर यात्रा करने से दिशाशूल का दोष कम हो जाता है।

👉ऋषि पंचमी या भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन यानी हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाई जाती है।

👉ऋषि पंचमी सप्त ऋषियों (सात ऋषियों) को सम्मान देने और महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान हुए दोष से शुद्ध होने के लिए महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला विशेष व्रत है।

हिंदू धर्म के अनुसार पवित्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है और शरीर और आत्मा को शुद्ध बनाए रखने के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं। हिंदू धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है और इसलिए इस अवधि के दौरान महिलाओं को रसोई में खाना पकाने या किसी भी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। इन दिशानिर्देशों की उपेक्षा करने से रजस्वला दोष बढ़ता है। रजस्वला दोष से छुटकारा पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी जाती है। नेपाली हिंदुओं में ऋषि पंचमी अधिक लोकप्रिय है। कहीं-कहीं तीन दिवसीय हरतालिका तीज का व्रत ऋषि पंचमी को समाप्त होता है।

👉ऋषि पंचमी पूजा कैसे करें (Jyotish)

ऋषि पंचमी के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर में साफ जगह पर हल्दी, कुमकुम और रोली का उपयोग करके एक चौकोर आकार का मंडल बनाएं। मंडल पर सप्त ऋषि की प्रतिमा स्थापित करें। चित्र के ऊपर शुद्ध जल और पंचामृत डालें। उनका टीका चंदन से करें। फूलों की माला पहचानाएं और सप्तऋषि को पुष्प अर्पित करें।

उन्हें पवित्र धागा (यज्ञोपवीत) पहनाएं। फिर सफेद वस्त्र अर्पित करें। साथ ही उन्हें फल, मिठाई आदि भी अर्पित करें। उस स्थान पर धूप आदि रखें। कई क्षेत्रों में यह पूजा प्रक्रिया नदी के किनारे या तालाब के पास देखी जाती है। इस पूजा के बाद महिलाएं अनाज का सेवन नहीं करती हैं। बल्कि वे ऋषि पंचमी के दिन एक खास तरह के चावल का सेवन करते हैं।

ऐसे करें ऋषि पंचमी की पूजा (Panchang)

इस दिव्य दिन पर, पास की पवित्र नदी में पवित्र करना बहुत महत्वपूर्ण है।

नदी में स्नान करने के बाद सप्त – ऋषि की प्रतिमाओं को पंचामृत चढ़ाना चाहिए।
इसके बाद उन पर चंदन और सिंदूर का तिलक लगाएं।
फूल, मिठाई, खाद्य पदार्थ, सुगंधित धूप, दीपक आदि सप्तऋषियों को अर्पित करें।
मंत्र जाप के साथ सफेद वस्त्र यज्ञोपवीतों और नैवेद्य धारण कर उनकी पूजा करें।
ऋषि पंचमी व्रत के दौरान इन सप्त – ऋषियों की पूरी पवित्र प्रथाओं के साथ पूजा करके लोककथाओं को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है।

Read Also: पर्यटकों की मेहमान नवाजी के तैयार राजस्थान…!

ऋषि पंचमी का महत्व (Jyotish)

इस व्रत में लोग उन प्राचीन ऋषियों के महान कार्यों का सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपना जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। यह व्रत पापों का नाश करने वाला और फल देने वाला है।

ऋषि पंचमी की व्रत कथा

एक बार एक राज्य में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। इनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी थी। ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक अच्छे और प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में किया। लेकिन जैसे – जैसे समय बीतता गया, लड़की के पति की अकाल मृत्यु हो जाती है और वह विधवा हो गई, और इस कारण अपने पिता के घर लौट गई। ठीक बीच में लड़की के पूरे शरीर पर कीड़े लग गए। उसके संक्रमित शरीर को देखने के बाद, वे दु:ख से व्यथित हो गए और अपनी बेटी को उत्तक ऋषि के पास यह जानने के लिए लेकर गए कि उनकी बेटी को क्या हुआ है।

उत्तक ऋषि ने उन्हें बताया कि कैसे उसने फिर से एक मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म कैसे लिया। उन्होंने कन्या को पिछले जीवन के बारे में सब कुछ बताया। ऋषि ने अपने माता – पिता को लड़की के पहले जन्म के विवरण के बारे में बताया। और कहा कि कन्या पिछले जन्म में मनुष्य थी।

उन्होंने आगे कहा रजस्वला – महावारी होने के बाद भी उसने घर के बर्तन आदि को छुआ था जिसके कारण उसे इन सभी पीड़ाओं का सामना करना पड़ रहा है। अनजाने में किए गए इस पाप के कारण उसके पूरे शरीर पर कीड़े पड़ गए।

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार एक लड़की या महिला अपने मासिक धर्म (रजस्वला या महावारी) पर पूजा का हिस्सा नहीं बन सकती। लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे किसी भी तरह इसकी सजा भुगतनी पड़ी।

अंत में ऋषि ने निष्कर्ष निकाला कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी की पूजा करें व पूरे मन से और श्रद्धा से क्षमा मांगें। उसे अपने पापों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी। इस प्रकार व्रत और श्रद्धा रखने से उनकी पुत्री अपने पिछले पापों से मुक्त हो गई।

Read Also:“Rajasthan Mission 2030,” an initiative launched by HCM Shri Ashok Gehlot

आज के परिवेश में

(Panchang) आजकल परिवार तो छोटे होते ही हैं और क्योंकि घर की स्त्रियां नौकरी व बिज़नेस आदि भी संभालतीं हैं तो ये सब परहेज सम्भव ही नही है। और ये भी सत्य है कि आजकल बहुत कम ऐसे लोग राह गए हैं जो आपको आपके पिछले जन्म के बारे में इतनी बारीकी से बता सकें। बहुत लोगों से व्रत भी नहीं होते। तो आज के दिन अपने पूजा स्थल में शांत हो कर बैठ जाएं और मन ही मन सप्त ऋषियों को प्रणाम करें और उनसे दिल से कहें “मुझसे, मेरे परिवार से, मेरे पूर्वजों से आपके प्रति मन, कर्म और वचन से या अनजाने में यदि कोई अपराध हुआ हो तो कृपया कर उसे क्षमा करें और अपनी कृपा बनाये रखें।” ऐसा करने से आपको अपने कष्टों से अवश्य ही कुछ राहत मिलेगी।

पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com