वैदिक पंचांग-प्रतिपदा तिथि और आपका आज!

*~ वैदिक पंचांग ~*

आज वैदिक पंचांग प्रतिपदा तिथि में क्या है आपके लिए ?

जानिए वैदिक ज्योतिषी पूनम गौड से आज कैसा रहेगा आपका दिन ?

वैदिक दिनांक – 28 नवम्बर 2023

दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा 14:05 तक तत्पश्चात द्वितीय
नक्षत्र – रोहिणी 13:31 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग – सिद्ध 22:04 तक तत्पश्चात साध्य
द्विपुष्कर योग – 14:05 – 06:54 (29 नवम्बर)
राहुकाल – 15:00 – 16:30 तक
सूर्योदय – 06:54
सूर्यास्त – 17:24

दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व – मार्गशीर्ष प्रारम्भ
रोहिणी व्रत
इष्टि

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💥 विशेष:- प्रतिपदा को पेठा (कुम्हड़ा, कुष्मांडा) न खाएं क्योंकि ये धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

👉इष्टी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जहां लोगों की सभी आकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए भगवान से मदद मांगने के लिए प्रार्थना की जाती है।

👉इस दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना सर्वोत्तम रहता है।

👉विष्णुसहस्रनाम का पाठ हर तरह के संकटों का नाश करता है।

मार्गशीर्ष

👉मार्गशीर्ष माह से श्रृद्धा और भक्ती से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

👉इस माह में नदी स्नान, और दान पुण्य का विशेष महत्व है।

👉मार्गशीर्ष के महीने में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि मार्गशीर्ष के महीने में जो भक्त भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करता है, उसकी सभी इच्छाएं और मनेकामनाएं श्रीकृष्ण पूरी करते हैं।

👉मार्गशीर्ष महीने में अगर आप पूरे प्रेम भाव से श्रीकृष्ण को पुकारेंगे तो निश्चित ही वे उसका उचित फल देंगे।

स्कंदपुराण के अनुसार

👉भगवान कृष्ण और राधा की कृपा वाले को मार्गशीर्ष माह में व्रत उपवास और भजन कीर्तन आदि करते रहना चाहिए।

👉इसके साथ ही शाम के समय यानी, संध्याकाल में श्रीकृष्ण और राधा की अराधना करने के साथ-साथ विष्णु जी के भजन कीर्तन भी अवश्य करने चाहिए।

👉मार्गशीर्ष मास में प्रतिदिन गीता का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

👉मार्गशीर्ष में जीरा नहीं खाना चाहिए. इसके साथ ही तेल मालिश करना शुभ फल प्रदान करता है।

👉रोहिणी व्रत जैन समुदाय का एक महत्वपूर्ण दिन है। रोहिणी व्रत का पालन मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की दिर्घायु के लिए किया जाता है।

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👉जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन यह व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि जो भी रोहिणी व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, वो सभी प्रकार के दुखों एवं दरिद्रता से मुक्त हो जाते हैं। इस व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर मार्गशीर्ष नक्षत्र में किया जाता है।

👉ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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